लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार उद्योग लगाने के लिए नियम सरल बनाने के साथ-साथ आम लोगों के जीवन को आसान बनाने के लिए 675 कम्प्लायंस (अनुपालनों) को खत्म करेगी। इसके तहत रिन्यूवल, इंस्पेक्शन, रजिस्ट्रेशन, रिटर्न फाइल करने समेत कई प्रक्रियाओं को आसान किया जाएगा। इसके अलावा, कुछ ऐसे कानूनों और नियमों को भी खत्म किया जाएगा। 675 कम्प्लायंस को खत्म करने की प्रक्रिया दो चरणों में होगी। पहले चरण में 195 अनुपालनों को खत्म किया जाएगा। इन्हें 31 मार्च तक समाप्त किया जाएगा। वहीं, दूसरे चरण में 480 अनुपालनों को खत्म किया जाएगा। इन अनुपालनों को 15 अगस्त तक किया जाएगा। बुधवार को यह निर्णय अपर मुख्य सचिव, अरविंद कुमार की अध्यक्षता में हुई विनियामक अनुपालन भार को कम करने के विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला में लिया गया।
जिन अनुपालनों को खत्म किया जाना है, जल्द ही उनकी सूची पोर्टल पर अपलोड होगी। इसके लिए अलग से पोर्टल बनाया गया है। इसमें से 120 अनुपालनों को पहले ही पोर्टल पर अपलोड कर दिया गया है। इंवेस्ट यूपी और डीपीआईआईटी द्वारा आयोजित इस बैठक में 40 विभागों के नोडल और उप-नोडल अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
इस अवसर पर विभिन्न विभागों के लगभग 80 अधिकारियों को संबोधित करते हुए अपर मुख्य सचिव, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास अरविंद कुमार ने कहा कि उद्योगों और उद्यमों के लिए व्यवसाय में सुगमता में सुधार के अलावा अब सरकार नागरिक-केंद्रित सेवाओं और अनुपालनों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, ताकि ईज ऑफ लिविंग में सुधार हो सके।
अपर मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तर प्रदेश को सबसे अधिक अनुपालन वाले राज्यों के रूप में चिन्हित किया गया है। जल्द ही सभी विभाग अपने विभागों से संबंधित सूची देंगे, जिसमें विभाग से संबंधित अनुपालनों को खत्म किया जाएगा। इंवेस्ट यूपी की सीईओ नीना शर्मा ने कहा कि 26 विभागों से संबंधित लगभग 120 अनुपालनों को पहले ही पोर्टल पर अपलोड कर दिया गया है।
विशेष सचिव, औद्योगिक विकास एवं अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी (एसीईओ) इन्वेस्ट यूपी, डॉ. मुथुकुमारसामी बी ने बताया कि राज्य सरकार ने पहले ही सीईओ, इन्वेस्ट यूपी की अध्यक्षता में एक कार्यबल का गठन कर दिया है।
कार्यशाला में न्याय, बाट-माप, आवास एवं शहरी नियोजन, नगर विकास, आबकारी, आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स, पर्यटन, ऊर्जा, सूचना एवं जनसंपर्क, गृह, श्रम, सहकारी, मत्स्य पालन, उच्च शिक्षा, राजस्व, समाज कल्याण, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, सिंचाई आदि विभागों के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ नोडल अधिकारियों ने हिस्सा लिया।