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2021 में तेजी से बढ़ी बेरोजगारी, भटकते रहे युवा, कोरोना ने युवाओं से छीनीं नौकरियां

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नई दिल्लीः भारत में आई कोरोना महामारी ने देश को आर्थिक तौर पर झकझोर कर रख दिया था। पहली लहर की अपेक्षा दूसरी लहर में जिस तरह मरीजों की मौतों का आंकड़ा कई गुना बढ़ा, उसी तरह बेरोजगारों की संख्या में भी कई गुना बढ़ोत्तरी हुई। देश के तमाम कुशल युवाओं को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा, जिसका नतीजा रहा कि देश में बेरोजगारी दर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई।

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सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी यानी सीएमआईई ने सितंबर माह में बेरोजगारी के आंकड़े जारी किए थे। जिसमें बताया गया कि एक महीने में यानी जुलाई 2021 के मुकाबले अगस्त 2021 में 15 लाख के करीब जॉब अपॉर्चुनिटी घट गई और बेरोजगारी दर जुलाई के 6.96 प्रतिशत से बढ़कर अगस्त में 8.32 प्रतिशत हो गई। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के इंस्टीट्यूशनल हेड प्रभाकर सिंह की मानें तो बेरोजगारी दर में बढ़ोतरी की मुख्य वजह लेबर पार्टिसिपेशन रेट में बढ़ोतरी है। जुलाई से अगस्त, 2021 के बीच एक महीने में करीब 40 लाख अतिरिक्त लोग जॉब मार्केट में नौकरी खोजने के लिए पहुंचे।

कोरोना महामारी के नियंत्रण में आने के बाद लोग शहरों में काम की तलाश में पहुंचे हैं। सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक, शहरी बेरोजगारी जो जुलाई में 8.3 प्रतिशत थी, वह अगस्त माह में बढ़कर 9.78 प्रतिशत तक पहुंच गई है। बता दें कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर आने से ठीक पहले मार्च में शहरी बेरोजगारी दर 7.27 प्रतिशत थी। सीएमआईई के आंकड़ों के अनुसार, मुख्य रूप से खरीफ सीजन के दौरान कम बुवाई के कारण ग्रामीण बेरोजगारी भी जुलाई में 6.34 प्रतिशत से बढ़कर अगस्त में 7.64 प्रतिशत हुई है।

कश्मीर

बेरोजगारी के मामले में हरियाणा रहा अव्वल

सीएमआईई के आंकड़ों पर गौर करें तो ग्रामीण भारत के बजाय शहरी क्षेत्रों में ज्यादा बेरोजगारी पनपी। मई में जहां शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी दर 13.9 फीसदी रही, वहीं ग्रामीण क्षेत्र में यह 10.6 फीसदी है। जहां तक राज्यों की बात है तो एक समय औद्योगिक हब कहा जाना वाला हरियाणा आज बेरोजगारी में नंबर एक पर आ गया है। यहां के 35.1 फीसदी युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। खास बात है कि सिर्फ एक महीने में यह आंकड़ा चार गुना तक बढ़ गया है, जबकि अप्रैल के महीने में बेरोजगारी प्रतिशत महज आठ फीसदी था।

दूसरे राज्यों की बात करें तो बेरोजगारी दर बढ़ने के मामले में दूसरे नंबर पर राजस्थान है। मई के महीने में यहां 28 फीसदी लोग बेरोजगार हो गए हैं। तीसरे नंबर पर देश की राजधानी दिल्ली है। सीएमआईई के अनुसार दिल्ली में बेरोजगारी दर 27.3 फीसदी पर पहुंच गई है। चौथे नंबर पर 25.7 फीसदी बेरोजगारी दर के साथ पर्यटन के लिए मशहूर गोवा है। इनके बाद त्रिपुरा, झारखंड और बिहार में बेरोजगारी दर 10 फीसदी से ऊपर बनी हुई है। जहां तक उत्तर प्रदेश की बात है तो यहां 6.3 फीसदी बेरोजगारी दर देखी गई है।

सरकार बोली, घटी शहरी बेरोजगारी

राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय यानी एनएसओ ने सितंबर माह में बेरोजगारी का आंकड़ा जारी किया था। आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 की दिसंबर 2020 में खत्म तीसरी तिमाही में शहरी भारत में बेरोजगारी दर 10.3 फीसदी रही, जबकि इसकी पिछली यानी जुलाई से सितंबर 2020 की तिमाही में बेरोजगारी दर 13.2 फीसदी थी। आंकड़ों के अनुसार इसके एक साल पहले यानी दिसंबर 2019 में खत्म हुई तिमाही में बेरोजारी दर सिर्फ 7.8 फीसदी थी। राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय द्वारा जारी तिमाही श्रम बल सर्वेक्षण से यह जानकारी सामने आई है।

दिसबर 2020 की तिमाही में देश भर में 15 साल या उससे ऊपर के लोगों की श्रम भागीदारी दर बढ़कर 47.3þ हो गई, जबकि इसके पहले यह 47.2þ थी। एनएसओ ने अखिल भारतीय स्तर पर शहरी इलाकों में अक्टूबर से दिसंबर 2020 की तिमाही में कुल 5,563 यूएफएस ब्लॉक में सर्वे किया है। सर्वे के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 में अप्रैल से जून की पहली तिमाही में सबसे ज्यादा 20.8 फीसदी की बेरोजगारी थी। यह एक ऐसा दौर था, जब देश में कोरोना की कहर के बीच सख्त लॉकडाउन लगा हुआ था।

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