प्रदेश विशेष उत्तर प्रदेश Featured

लखनऊ में आसमान छूएगा ‘राफेल’

A kite seller arranges kites as people arrive to buy them from Chawri Bazar

लखनऊः आज गोवर्धन पूजा है। इसी दिन राजधानी में गोवर्धन पूजा के साथ-साथ पतंगबाजी भी खूब होती है। इस दिन को लखनऊ में जमघट कहा जाता है। पुराने लखनऊ की हर छत पर खूब पतंगबाजी होती है। ये काटा, वो काटा की आवाजें छतों पर खूब गूंजती हैं। कुछ पतंगों में मोदी तो कुछ में योगी के चित्र बने हुए होते हैं। एक खास पतंग तो राफेल के आकार की बिक रही है।

शहर के बाजार पतंगों से गुलजार हैं। यहां 5 रुपये से लेकर 500 तक की पतंगे बाजारों में शोभा बढ़ा रही हैं। रील, सद्दी, मांझा से दुकानें पटी पड़ी हैं। दुकानदार भी इस त्यौहार का बेसब्री से इंतजार करते हैं। वैसे तो पूरे देश में मकर संक्रांति को पतंग उड़ाई जाती है, लेकिन लखनऊ ऐसा शहर है, जहां दीपावली के अगले दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है। इतिहास में पहले चीन में पतंग उड़ाने की परंपरा बताई गई है, बाद में यह भारत आ गई।

पतंगबाजी का कम्पटीशन

इस बार पतंगबाजी के लिए बड़े-बड़े क्लब बनाए गए हैं। बाकायदा इसके लिए पतंगबाजी का कंपटीशन भी होता है। अपनी तमाम नजाकत के लिए पूरी दुनिया में मशहूर लखनऊ अपनी पतंगबाजी के लिए अपने को दूसरे शहरों से अलग खड़ा नजर आता है।

चाइनीज मांझा से रहें दूर

दीपावली पर जमघट के दिन चाइनीज मांझा से अपने आप को दूर रखें। आसमान में ऊंचाई तय करती हुई पतंग, जिसकी डोर नीचे उड़ाने वाले के हाथों में होती है, लेकिन जिंदगी की डोर हाथों में नहीं होती है। जैसी दिशा दे उस ओर उड़ चले पतंग, लेकिन दिशा देने के लिए खतरनाक मांझा जरूरी नहीं है। यह मांझा तेजी से घसीटने के चक्कर में ऊंगली ही नहीं किसी की गर्दन काट देने में भी सक्षम होता है। इन मांझों को मजबूत, धारदार बनाने के लिए कांच के बारीक टुकड़ों के इतर धातुओं अति सूक्ष्म कणों का भी इस्तेमाल किया जाता है। जिसे गोंद की मदद से धागे पर चिपकाया जाता है या ये भी कह सकते हैं कि बारीक परत चढ़ा दी जाती है। जिसकी वजह से ये जानलेवा बन जाते हैं। इसलिए आप भी साधारण धागे से बने मंाझे को ही अपनी पतंग पर लगाएं और उसे आसमान दिखाएं।

पतंगबाजी के समय इन बातों का रखें विशेष ध्यान

1. पतंगबाजी के शौकीन डोर या मांझा खरीदते समय ध्यान रखें, खासकर छोटे बच्चे। क्योंकि मांझा बनाने का तरीका बेहद ही खतरनाक है। मांझा बनाने के लिए एक खास किस्म की लोई तैयार की जाती है, जिसमें चावल का आटा, आलू, सरेस, गोंद, पिसा हुआ बारीक कांच का बुरादा और रंग मिलाया जाता है। इसे हाथों में रखकर, दो खंभों के बीच बांधे गए सूत के सफेद धागों पर उस लोई की अनेक परतें चढ़ाई जाती हैं और इस प्रकार खतरनाक मांझा तैयार होता है। इस मांझे से हाथ, गले में चोट लगने का खतरा ज्यादा रहता है।

2. पतंग उड़ाने में कई बार हाथों में कट लगता है, इसीलिए उचका पकड़ने व पतंग उड़ाने वाले में सही तालमेल होना चाहिए।

3. पतंगबाजी के शौकीन लोग बिना मुंडेर की छत से पतंग न उड़ाएं, क्योंकि निगाह पतंग पर रहने के कारण छत से गिरने की संभावना हो सकती है।

4. सड़क पर पतंग लूटना भी परेशानी का कारण बन सकता है। अतः चारों तरफ ध्यान देकर ही पतंग लूटने का मजा उठाएं।

5. पतंग उड़ाने वाली डोर में नायलॉन का होता है और उस पर कांच का बुरादा चढ़ा होने के कारण यह लोगों और आसमान में उड़नेवाले परिंदों तथा वन्य जीव के लिए भी खतरनाक होता है।

6. कई बार पतंग बिजली के तारों में भी फंस जाती है। इसे निकालने के लिए न तो खंबे पर चढ़ें और न ही किसी अन्य तार की मदद से इसे निकालें। ऐसा करने से करंट लग सकता है।

7. पतंग उड़ाने के लिए चाइना डोर कतई न खरीदें। हमें समझना होगा कि इस डोर से हमारे अपने ही जख्मी हो रहे हैं। इसीलिए सादी डोर से पतंग उड़ाकर त्यौहार का आनंद उठना चाहिए, ताकि किसी की जान खतरे में न पड़े। बच्चों को खास तौर से इन बातों के लिए सावधान करना चाहिए।