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भारत माता के वीर सपूत चंद्रशेखर की जयंती आज, जानें कैसे जुड़ा उनके नाम के साथ ‘आजाद’

chandrashekhar

नई दिल्लीः ‘दुश्मन की गोली का डटकर सामना करेंगे, आजाद हैं और आजाद ही रहेंगे’। इसी नारे के साथ देश की आजादी में अपने प्राणों का बलिदान देने वाले चंद्रशेखर आजाद की आज 114वीं जयंती है। भारत माता के वीर सपूत और देश की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले चंद्रशेखर की यह प्रतिज्ञा थी कि वह कभी भी अंग्रेजों के हाथ नहीं आएंगे और यह प्रतिज्ञा उन्होंने अपने जीवन की अंतिम सांस तक निभायी थी। चंद्रशेखर आजाद की वीरगाथा आज भी सभी देशवासियों के लिए प्रेरणास्रोत है।

कहां हुआ चंद्रशेखर आजाद का जन्म चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्यप्रदेश के झाबुआ स्थित भाबरा गांव में ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता सीताराम तिवारी प्रकांड पंडित थे और माता जगरानी देवी गृहिणी थीं। उन्हें बचपन में चंद्रशेखर के नाम से पुकारा जाता था। खेलने की उम्र में चंद्रशेखर के मन में अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों को समाप्त करने के लिए विद्रोह की भावना जागने लगी थी।

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कैसे चंद्रशेखर बने ‘चंद्रशेखर आजाद’ महज 14 साल की छोटी सी उम्र में ही 1920 में चंद्रशेखर महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से जुड़े थे। इसी दौरान उन्हें अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद उन्हें जज के सामने प्रस्तुत किया गया। जज ने उनसे नाम पूछा तो उस बालक ने पूरे साहस और जोरदार आवाज में कहा ‘आजाद’। जज ने फिर उनके पिता का नाम पूछा तो उन्होंने फिर बड़ी ही दृढ़ता के साथ कहा ‘स्वतंत्रता’ और अंत में जज के उनसे पता पूछने पह वह बोले ‘जेल’। उस छोटे से बालक की ऐसे निर्भयता से कहीं गयी बातों से जज बेहद नाराज हो गया और उसने चंद्रशेखर को सरेआम 15 कोड़े लगाने का आदेश दे दिया। ऐसे निर्भयतापूर्वक बातों के कहने के बाद चंद्रशेखर को हर देशवासी आजाद के नाम से पुकारने लगे।