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राजधानी में अब दूर की कौड़ी हुई तम्बाकू की खेती, तेजी से घट रहा फसल का रकबा

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लखनऊः नवाबों के शहर लखनऊ में कभी तम्बाकू की खेती बड़े पैमाने पर होती थी। इससे किसानों को अच्छा मुनाफा भी होता था, लेकिन अब इसकी पैदावार में लगातार कमी आ रही है और खेती का रकबा घटता जा रहा है। रहीमाबाद, बक्शी का तालाब, मलिहाबाद, इटौंजा और मड़ियावां में कई सालों पहले तम्बाकू की खेेती की जाती थी। इधर बाराबंकी बाॅर्डर में भी किसान यही खेती मुख्य ढर्रे पर करते थे, लेकिन अब तमाम कारणों से इससे दूर हो गए।

राजधानी के किसानों ने तम्बाकू की बजाय सरसों, कपास, गोभी, टमाटर, आलू, मटर और मक्का की खेती में मन लगा रखा हैं। यही किसान कभी तम्बाकू की खेती करते थे। यहां की तम्बाकू चबाने और हुक्का में पीने के लिए दूर-दूर तक बिका करती थी, लेकिन लोग बताते हैं कि यहां तम्बाकू की खेती लगातार घट रही है। इसकी खेती में कमी आने का कारण इसकी कीमत में गिरावट माना जा रहा है। दूसरा कारण यह माना जा रहा है कि तम्बाकू की फसल में बीमारी और इससे स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान हैं। लोग इसके प्रति जागरूक हो रहे हैं। किसान जो चबाने वाले और हुक्के में उपयोग होने वाले तम्बाकू का उत्पादन करते थे, वह अब सरसों, कपास, गोभी, टमाटर, मटर, आलू और मक्का की खेती कर रहे हैं।

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डाॅ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डाॅ. रवि प्रकाश वर्मा कहते हैं कि किसान आज भी तम्बाकू की खेती करने के लिए तैयार हैं, लेकिन उनको सुविधाएं और सुरक्षा भी दी जाए। लखनऊ में बड़े पैमाने पर तम्बाकू उत्पादन होता था। प्रोफेसर रवि कहते हैं कि अन्य फसलों के प्रति लगाव का कारण है कि किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले बीज, जैविक खाद, अन्य खाद और कीटनाशक आदि उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। किसान तम्बाकू उत्पादन छोड़ रहे हैं। यह अच्छी बात भी है। इसके स्थान पर वह सरसों, गेहूं, सब्जी जैसी वैकल्पिक फसल उपजा रहे हैं। इससे किसान बेहतर आय हासिल कर रहे हैं।

कानूनी पेंच बने बाधक -

मलिहाबाद के किसान राजेश यादव कहते हैं कि तम्बाकू बेचने वालों को तमाम तरह की दिक्कतें उठानी पड़ती थी। ज्यादातर लोग इसे बुराई से जोड़ने लगे। पुलिस भी नशीले पदार्थ की चेकिंग के बहाने घर तक धमक पड़ती थी। इसके अलावा बिक्री में कठिनाई होती थी, क्योंकि इसके बाजार सीमित थे। इससे इतर अब किसानों को ज्यादा मुनाफा देने वाली फसलें उगाने का मौका मिल रहा है। अब तो शहर से कई देशों को फल व सब्जियां भेजी जा रही हैं। सरकार इसमें किसानों की काफी मदद भी कर रही है। इसके साथ ही यहां फूल उनके पौधों की बिक्री भी खूब होने लगी है। इसके अलावा नशे की अन्य चीजें बाजारों में खुलेआम बिक रही हैं। इससे भी तम्बाकू की खेती पर असर पड़ा है।

  • शरद त्रिपाठी की रिपोर्ट

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