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जीवन में खुशहाली लाने को अतीत या भविष्य की चिंता छोड़ केवल वर्तमान पर दें ध्यान

नई दिल्लीः संसार की विरोधाभासी प्रकृति के बीच आत्मबल हमें आत्मिक शांति की राह दिखाता है। गौतम बुद्ध के संदेश हमें इसी राह पर ले जाते हैं। गौतम बुद्ध की शिक्षाएं आत्मिक उन्नति से लेकर सामाजिक हितों तक के संदर्भ में हर युग में सार्थक हैं। बुद्ध विष्णु के दशावतार हैं और शांति के विश्व देव भी। भगवान विष्णु के समस्त अवतार लोक कल्याण के लिए धरती पर हुए। भगवान विष्णु को प्रकृति का संयोजक और पालक कहा गया है। यानी उनकी भूमिका पालनहार की है। राम के रूप में उन्होंने मर्यादा और आदर्श की नींव रखी, तो श्रीकृष्ण के रूप में उन्होंने योग, राजयोग और कर्मयोग का सिद्धांत प्रतिपादित किया। इसी कर्मयोग सिद्धांत को भगवान बुद्ध ने आगे बढ़ाया और सामाजिक मूल्यों की स्थापना की।

भगवान बुद्ध ने कई ऐसे उपदेश दिए जो जीवन को सही दिशा दिखलाते हैं। मनुष्य को सफलता का मंत्र देते हुए गौतम बुद्ध कहते हैं कि जीवन में हजारों लड़ाइयां जीतने से बेहतर स्वयं पर विजय प्राप्त करना है। अगर यह कर लिया तो फिर जीत हमेशा ही तुम्हारी होगी, इसे तुमसे कोई नहीं छीन सकता। उनका कहना है कि किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आपने उसके लिए प्रयास किस तरह से किया है, ये जरूरी है। बुद्ध कहते हैं कि जीवन में किसी उद्देश्य या लक्ष्य तक पहुंचने से अधिक महत्वपूर्ण उस यात्रा को अच्छे से संपन्न करना होता है। बुराई और नफरत के विषय में भगवान बुद्ध का कहना है कि बुराई को अच्छाई से और नफरत को प्यार से मिटाया जा सकता है। अपने उपदेश में गौतम बुद्ध कहते हैं कि बुराई को बुराई से खत्म नहीं किया जा सकता, घृणा को केवल प्रेम द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है, यह एक अटूट सत्य है।

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उन्होंने जीवन में सत्य की ताकत के बारे में भी बताया। बुद्ध का कहना है कि सत्य के मार्ग पर चलते हुए मनुष्य केवल दो ही गलतियां कर सकता है, पहली या तो पूरा रास्ता न तय करना, दूसरी या फिर शुरुआत ही न करना। गौतम बुद्ध ने जीवन में खुशहाली के महत्व को भी दर्शाया है और चिंता को मनुष्य के लिए चिता के समान बताया है। बुद्ध अपने उपदेश में कहते हैं कि भविष्य के बारे में मत सोचो और अतीत में मत उलझो, सिर्फ वर्तमान पर ध्यान दो, जीवन में खुश रहने का यही एक सही मार्ग है। उनका कहना है कि खुशियां हमेशा बांटने से बढ़ती हैं, जैसे कि एक जलते हुए दीपक से हजारों दीपक रोशन किए जा सकते हैं फिर भी उस दीपक की रोशनी कम नहीं होती। आप चाहें जितनी भी अच्छी किताबें पढ़ लें, कितने भी अच्छे शब्द सुन लें, मगर जब तक आप उनको अपने जीवन में नहीं अपनाते तब तक उसका कोई लाभ नहीं।

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