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तिरुपति लड्डू मामलाः सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- भगवान को राजनीति से दूर रखें

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Andhra Pradesh Tirupati Laddu Case: तिरुपति मंदिर में लड्डू में कथित मिलावट के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के बयान पर सवाल उठाया और कहा कि भगवान को राजनीति से दूर रखना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो रिपोर्ट सार्वजनिक की गई है, वह जुलाई की है, लेकिन मुख्यमंत्री सितंबर में इस बारे में बयान दे रहे हैं। प्रसादम मामले की जांच राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी (SIT) करेगी या किसी अन्य एजेंसी को जांच सौंपी जाएगी, इस पर सुप्रीम कोर्ट 3 अक्टूबर 2024 को अपना आदेश दे सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा है कि क्या राज्य सरकार की एसआईटी पर्याप्त है या किसी स्वतंत्र एजेंसी को नए सिरे से जांच करनी चाहिए।

मिलावटी घी के इस्तेमाल होने का सबूत कहां

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस रिपोर्ट को देखकर यह स्पष्ट नहीं है कि लड्डू प्रसाद में कथित मिलावटी घी का इस्तेमाल किया गया था या नहीं। कोर्ट ने मंदिर प्रशासन से पूछा कि जिस नमूने में मिलावट पाई गई है, क्या उसका इस्तेमाल प्रसादम बनाने में किया गया था। इस पर कोर्ट ने कहा कि जब जांच चल रही थी तो प्रसाद के लड्डू बनाने में मिलावटी घी का इस्तेमाल होने का सबूत कहां है।

जांच से पहले बयान देने का क्या मतलब

सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि जब सरकार ने जांच के लिए एसआईटी (SIT) गठित कर दी है तो एसआईटी के किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले मुख्यमंत्री को प्रेस में बयान देने की क्या जरूरत थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों से जिम्मेदारी की उम्मीद की जाती है। अगर आपको जांच क नतीजे के बारे में यकीन नहीं था तो आपने बयान कैसे दे दिया। अगर आप पहले से ही बयान दे रहे हैं तो जांच का क्या मतलब है।

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प्रसाद की गुणवत्ता की आंतरिक जांच होनी चाहिए

बीजेपी (BJP) नेता सुब्रमण्यम स्वामी और अन्य याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दायर की है। याचिका में इस मामले की जांच की मांग की गई है, क्योंकि उनके आरोप से भक्तों में अफरातफरी मच गई है। याचिका में भगवान श्री वेंकटेश्वर के निवास तिरुपति तिरुमाला में लड्डू में घटिया सामग्री और पशु वसा के कथित आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक समिति के गठन की मांग की गई है।

याचिका में कहा गया है कि मंदिर में प्रसाद की गुणवत्ता की आंतरिक जांच होनी चाहिए। याचिका में मंदिर में प्रसाद बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले घी जैसे पदार्थों के नमूनों के स्रोत की जांच के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है। याचिका में मांग की गई है कि इस मामले में आंध्र प्रदेश सरकार (Andhra Pradesh govt) से विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी जाए।

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