लखनऊः इस बार सरसों के रिकॉर्ड उत्पादन की तैयारी की जा रही है। इसका कारण है कि किसानों को तिलहन के दाम उच्च स्तर पर मिल रहे हैं। बुवाई से पहले का मौसम भी काफी अनुकूल है जबकि दोहरी फसल वाले किसान तो काफी उत्साहित हैं, क्योंकि सरसों का उत्पादन करने वाले किसान दो फसल अवश्य बोते हैं। इसके लिए सितंबर की बारिश काफी फायदेमंद साबित होगी।
ये भी पढ़ें..कोविशील्ड वैक्सीन को यूके ने दी मान्यता, नई ट्रैवल एडवाइजरी में किया गया बदलाव
इस बार किसान सरसों के अच्छे दामों से प्रोत्साहित हैं। आगामी सीजन में सरसों की ज्यादा से ज्यादा खेती करने की योजना इसी का परिणाम है। किसानों को उम्मीद है कि सरसों की पैदावार डबल हो सकती है। प्रकृति की ओर से इसकी भूमिका अभी से बन रही है। खरीफ फसलों की खेती नहीं करने वाले किसानों ने अभी से सरसों की अगेती खेती की तैयारी शुरू कर दी है। कुछ किसानों ने खेत को सिर्फ सरसों बोने के लिए ही खाली रख लिया है। जिन्हें फरवरी माह में गन्ना, अगेती सब्जियां और जनवरी में प्याज व लहसुन की खेती करना हैं, ऐसे किसान अपनी खेतों को खाली रखते हैं।
उनके लिए सरसों की अगेती खेती काफी लाभदायक हो सकती है। जिस तरह से वर्तमान में पानी बरस रहा है, उससे यही उम्मीद जताई जा रही है कि खेत पूरी तरह से तैयार हो रहे हैं। खेत सितंबर से लेकर जनवरी तक खाली रहते हैं, ऐसे में किसान भाई कम समय में पककर तैयार हो जानी वाली सरसों की अच्छी प्रजाति लगाते हैं। इसके लिए कुछ नई किस्मों को विकसित किया है, जो जल्द पककर तैयार हो जाती हैं और उत्पादन भी अधिक मिलता है।
सरसों की नई किस्म से करीब 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार
पूसा अग्रणी किस्म की फसल 110 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। इसका उत्पादन भी अच्छा ही होता है। यह एक हेक्टेयर में 13.5 क्विंटल पैदावार मिलती है। इसके अलावा, पूसा तारक और पूसा महक किस्मों की अगेती खेती हो सकती है। ये दोनों किस्में अच्छी मानी जाती हैं। अभी तक के आंकड़े हैं कि 110 से 115 दिन के बीच पक जाती हैं और प्रति हेक्टेयर औसतन 15 से 20 क्विंटल पैदावार हासिल होती है। इसके अलावा पूसा सरसों 25 नाम की किस्म 100 दिन में तैयार हो जाती है। एक हेक्टेयर में पूसा सरसों 25 की बुवाई कर 14.5 क्विंटल पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा एक और किस्म है, पूसा सरसों 27, इसे पकने में 110 से 115 दिन का समय लगता है और प्रति हेक्टेयर 15.5 क्विंटल तक पैदावार मिल जाती है। इन सभी किस्मों के अलावा एक सबसे नवीनत किस्म है पूसा सरसों 28।
यह 105 से 110 दिन में पक जाती है और 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार हासिल होती है। इन सभी किस्मों की 15 सितंबर के आस-पास बुवाई की जा सकती है और जनवरी के पहले हफ्ते तक इनकी कटाई हो जाती है। सरसों की पैदावार माहू या चेपा कीट के प्रकोप से बच जाती है। इसके अलावा, ये फसलें बीमारी रहित भी हैं। इन किस्मों की बुवाई कर किसान अपने खेत में तीन फसल एक साल में ले सकते हैं। किसानों के लिए सरसों की खेती मुनाफे का सौदा है। इस बार सरसों की जबरदस्त कीमत मिली है और पूरे साल भाव उच्चतर स्तर पर बने रहे।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)