लाइफस्टाइल

कम तापमान में रहने पर शरीर में बढ़ जाते हैं ये खतरे

cold-1

लखनऊः सर्दियों का मौसम आ चुक है। लखनऊ में बीते साल सबसे कम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस मापा गया था। ये तो रही एक दिन बात लेकिन क्या होता है जब शरीर को इससे भी कम तापमान में ज़्यादा दिनों तक रहना पड़ता है। यानी की 5 डिग्री सेल्सियस से भी कम में। आइये जानते हैं -

आमतौर पर ज्यादा ठंड में कभी रोएं खड़े हो जाते हैं तो कभी उंगलियां सुन्न हो जाती हैं। कांपने भी लगते हैं। दांत भी कड़कड़ाने लगते हैं। क्या आपने कभी सोचा कि ठंड में हमारा शरीर ऐसे प्रतिक्रियाएं क्यों देता है। वैसे हर इंसान में ये प्रतिक्रिया अलग होती है। इसकी वजह ये भी है कि हर इंसान की त्वचा में तापमान के सेंसर अलग तरह के होते हैं और अलग तरह से रिएक्ट भी करते हैं। दुनिया के किसी भी कोने में रह रहे लोगों के शरीर का आंतरिक तापमान करीब समान ही होता है, फिर चाहे वो मरुस्थल में रह रहे हों या बर्फीली हवाओं के बीच।

शरीर में मौजूद तापमापी सेंसरों की संख्या भी एक दूसरे से अलग हो सकती है। कई बार बहुत अधिक ठंड के कारण हाइपोथर्मिया हो जाता है और मौत भी हो सकती है। हमारे शरीर में मौजूद खून त्वचा को गर्मी देता है। जैसे-जैसे ब्लड फ्लो कम होता जाता है, उसी रफ्तार से स्किन को गर्माहट मिलना कम होती जाती है।

यह भी पढ़ेंः-सोने की अनिवार्य हॉलमार्किंग देश के 256 जिलों में लागू, सरकार बना रही ये प्लान

धारणा यह है कि मोटे व्यक्ति को ठंड कम लगती है, जो कि सच नहीं है। हालांकि मांसपेशियों का द्रव्यमान भी अहम भूमिका निभाता है। आमतौर पर महिलाओं के शरीर में 25 फीसदी और पुरुषों में 40 फीसदी द्रव्यमान मांसपेशियों का होता है। ज्यादा मांसपेशियों वाले शरीर को ठंड कम लगती है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर  पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)