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Bhopal News Update : न‍िजी अस्‍पतालों पर भी हड़ताल की गाज, डॉक्टर्स की हड़ताल से बिगड़ी स्वास्थ्य सेवाएं

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Bhopal News Update : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने शनिवार यानी 17 अगस्त को सुबह 06 बजे से रविवार सुबह 06 बजे तक बंद की घोषणा का असर मध्‍य प्रदेश में भी हर जिले में देखने को मिला। बता दें, भोपाल और इंदौर में शनिवार से निजी अस्पतालों की ओपीडी सेवाएं बंद कर दी गई हैं। सिर्फ निजी अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाएं चालू रहेगी।

600 से ज्यादा डॉक्टर हड़ताल पर  

जबकि चिक‍ित्‍सा एक आवश्‍यक सेवा है और इसमें कार्यरत जिम्‍मेदार लोग इस तरह से हड़ताल नहीं कर सकते, इसे लेकर जनहित याचिकाएं भी न्‍यायालय में लगा दी गई हैं, जिनकी सुनवाई आज होनी है। वहीं, भोपाल एम्स के 600 से अधिक रेजिडेंट डॉक्टर आज भी हड़ताल पर हैं।

उल्‍लेखनीय है कि, आठ अगस्‍त को कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर का बहुत ही वीभत्स तरीके से रेप करने के बाद हत्या कर देने के विरोध में देश भर में उबाल है। जिसमें कि, सबसे ज्‍यादा घटना का विरोध करते हुए मप्र में भी सभी सरकारी अस्‍पतालों के जूनियर चिकित्‍सकों ने गुरुवार से काम बंद कर दिया था, वहीं अब उनके समर्थन में निजि चिकित्‍सक भी उतर आए हैं।

डॉक्टर्स की हड़ताल से बिगड़ी स्वास्थ्य सेवाएं  

जूनियर डॉक्टर्स के अचानक से हड़ताल पर जाने से प्रदेश से अब स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं बिगड़ने लगी हैं। इसका सबसे ज्यादा असर पैथोलॉजी सेवाओं पर देखने को मिल रहा है। जांच नहीं हो पाने से मरीज के लिए दवाओं का सही निर्धारण नहीं हो पा रहा है। इस हड़ताल को मेडिकल कॉलेज के डीन अनुचित करार दे रहे हैं। भोपाल समेत प्राय: सभी च‍िकित्‍सकों के अवकाश निरस्‍त करते हुए उन्‍हें चौबीसों घण्‍टे ड्यूटी पर तैनात होने के लिए कहा है।

डॉक्टर्स की छुटि्टयां निरस्त 

इस संबंध में भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. कविता एन सिंह ने साफ कहा कि, सभी डॉक्टर्स की छुटि्टयां निरस्त हैं। उन्‍हें चौबीस घंटे ड्यूटी पर रहना होगा। इसमें मेड‍िकल कॉलेज के सभी शिक्षकों से कहा गया है कि, स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी सभी सेवाओं को जूनियर चिकित्‍सकों के अभाव में देखेंगे। इसके साथ ही आवश्‍यकता को देखते हुए मेडिकल इंटर्न तैनात करने की बात भी कही गई है।

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पीड़ित परिवार को मुआवजे की मांग

जूनियर चिक‍ित्‍सकों का कहना है कि, जिस तरह से कोविड-19 की विशेष परिस्‍थ‍ितियों में चिकित्‍सक और अस्पतालों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए एक विशेष पॉलिसी बनाई गई थी, उसी तरह से नीतिगत स्तर पर डॉक्टरों और अस्पतालों पर हिंसा को रोकने के लिए पॉलिसी तैयार की जाए। वहीं, सभी अस्पतालों के सुरक्षा प्रोटोकॉल किसी एयरपोर्ट से कम नहीं होने चाहिए। इसके साथ ही डॉक्टर्स का कहना है कि, पीड़ित परिवार को क्रूरता के अनुरूप उचित और सम्मानजनक मुआवजा दिया जाए।

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