Home उत्तर प्रदेश निमोनिया होने के कई कारण हो सकते हैंः डॉ. सूर्यकान्त

निमोनिया होने के कई कारण हो सकते हैंः डॉ. सूर्यकान्त

लखनऊ। निमोनिया (pneumonia) एक गंभीर बीमारी है। जिसमें मरीज के फेफड़ों में सूजन के साथ-साथ फेफड़ों में पानी भर जाता है। इस बीमारी का इलाज मौजूद है लेकिन अगर मरीज द्वारा थोड़ी भी लापरवाही बरती जाए या इलाज में देरी की जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है। देश में संक्रामक रोगों से होने वाली मृत्यु में से लगभग 20 फीसदी की मौत निमोनिया से होती हैं। इस बीमारी से जनता को आगाह करने के लिए हर साल 12 नवम्बर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है।

निमोनिया होने के कई कारण संभव

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि फेफड़े में  संक्रमण होना निमोनिया की निशानी हो सकती है। इसके अलावा कुछ अन्य कारणों से भी निमोनिया होने की संभावना जन्म ले सकती हैं। जैसे -केमिकल निमोनिया, एस्परेशन निमोनिया, ऑबस्ट्रक्टिव निमोनिया। बैक्टीरिया (न्यूमोकोकस, हिमोफिलस, लेजियोनेला, मायकोप्लाज्मा, क्लेमाइडिया, स्यूडोमोनास) के अलावा कई वायरस (इन्फ्लूएन्जा, स्वाइन फ्लू एवं कोरोना), फंगस एवं परजीवी रोगाणुओं के कारण भी निमोनिया हो सकता है। क्षय रोग यानी टीबी के कारण भी फेफड़े में निमोनिया हो सकती है।

19वीं सदी में मिली निमोनिया को मौत के सौदागर की उपाधि

डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि 19वीं शताब्दी में विलियम ओस्लर द्वारा निमोनिया को ’’मौत का सौदागर’’ कहा गया था, लेकिन 20वीं सदी  में एंटीबायोटिक उपचार व टीकों के कारण मृत्युदर में कमी आयी है। विकासशील देशों में बुजुर्गों, बच्चों और रोगियों में निमोनिया अब भी मृत्यु का एक प्रमुख कारण बना हुआ है। डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि निमोनिया का संक्रमण हालांकि किसी को भी हो सकता है लेकिन कुछ बीमारियां व स्थितियां ऐसी हैं, जिसमें निमोनिया का खतरा अधिक होता है। इनमें शामिल हैं-धूम्रपान, मदिरापान करने वाले, डायलिसिस करवाने वाले, हृदय, फेफड़े, लीवर की बीमारियों के मरीज, मधुमेह, गंभीर गुर्दा रोग, बुढ़ापा या कम उम्र (नवजात) एवं कैंसर व एड्स के मरीज जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।

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2019 में 25 लाख लोगों को खा गया निमोनिया

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वर्ष 2019 में निमोनिया से 25 लाख लोगों की मृत्यु हुई। सभी पीड़ितों में से लगभग एक तिहाई पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे थे, यह पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु का प्रमुख कारण है। हर 43 सेकेंड में निमोनिया से एक बच्चे की मौत हो जाती है। प्रतिवर्ष निमोनिया से लगभग 45 करोड़ लोग प्रभावित होते हैं, जो कि विश्व की जनसंख्या का सात प्रतिशत है। 19वीं शताब्दी में विलियम ओस्लर द्वारा निमोनिया को ’’मौत का सौदागर’’ कहा गया था। लेकिन 20वीं शताब्दी में एंटीबायोटिक उपचार और टीकों के कारण मृत्युदर में काफी कमी आयी। इसके बावजूद विकासशील देशों में बुजुर्गों, बच्चों और रोगियों में निमोनिया अभी भी मृत्यु का एक प्रमुख कारण बना हुआ है।

निमोनिया से कैसे करें बचाव

– यह बीमारी ठंड में ज्यादा होती है, अतः ठंड से बचें, बच्चे व वृद्ध खास सतर्कता बरतें

– पानी का पर्याप्त सेवन करें, धूम्रपान, शराब एवं अन्य नशा का त्याग करें, मधुमेह एवं अन्य बीमारियों को नियंत्रण में रखें।

– निमोनिया का प्रमुख कारण न्यूमोकोकस जीवाणु होता है, अतः इससे बचने के लिए न्यूमोकोकल

वैक्सीन लगवानी चाहिए। 65 वर्ष से ऊपर के व्यक्ति, जटिल हृदय रोग, लीवर व किड़नी रोगी, दमा एवं सांस की बीमारियों के मरीज, मधुमेह एवं एड्स पीड़ित, शराब का नशा करने वाले एवं वह मरीज जिनकी तिल्ली निकाल दी गई हो, को अवश्य वैक्सीन लगवानी चाहिए। ऐसे रोगियों को प्रतिवर्ष इन्फ्लूएन्जा की वैक्सीन भी लगवानी चाहिए, जो कि वायरल निमोनिया से भी बचाती है।

रिपोर्ट- पवन सिंह चौहान

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