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उत्तर प्रदेश में भी हैं शक्तिपीठ, कम समय में करें देवी के इन पवित्र स्थानों के दर्शन

लखनऊः मां दुर्गा की आस्था को समर्पित पर्व नवरात्रि शुरू हो चुकी है। भक्तजन नौ दिन मां की आस्था में लीन रहते हैं। इन दिनों शक्तिपीठों में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और देवी भगवती के दर्शन करते हैं। हिंदू पुराणों के अनुसार, देवी सती के अंग व आभूषण जहां-जहां गिरे, उन स्थानांे को शक्तिपीठ कहा गया है। देवी पुराण के अनुसार, कुल 51 शक्तिपीठ बताए गए हैं। ये शक्तिपीठ पूरे भारत में हैं, तो वहीं कुछ भारत से बाहर पाकिस्तान, बांग्लादेश व एक श्रीलंका में भी हैं।

अगर आप भी कम समय में शक्तिपीठ के दर्शन करना चाहते हैं, तो आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में भी शक्तिपीठ हैं, जहां आप परिवार के साथ नवरात्रि में देवी मां के दर्शन कर सकते हैं। बता दें कि उत्तर प्रदेश में छह शक्तिपीठ हैं। आइए जानते हैं कहां हैं ये शक्तिपीठ और इनका महत्व –

विशालाक्षी शक्तिपीठ, वाराणसी-

बाबा विश्वनाथ के धाम में माता सती का एक शक्तिपीठ विशालाक्षी मौजूद है। यह मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर से थोड़ी दूर स्थित है। नवरात्रि में यहां भक्तों की बड़ी भीड़ रहती है। कहा जाता है कि यहां देवी सती के कानों के कुंडल गिरे थे, इसी वजह से इस जगह को मणिकर्णिका कहा जाता है।

प्रयाग शक्तिपीठ, प्रयागराज –

पुराणों के अनुसार, प्रयागराज के संगम तट पर मां सती के हाथ की अंगुली गिरी है। इस शक्तिपीठ को ललिता मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां देवी के तीन मंदिर हैं और तीनों ही प्रयागराज की शक्ति ललिता के माने गए हैं।

रामगिरी शक्तिपीठ, चित्रकूट –

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में एक शक्तिपीठ है। यह झांसी-मणिकपुर रेलवे स्टेशन के पास रामगिरि में स्थित है। रामगिरी पर्वत चित्रकूट में है। कहा जाता है कि यहां मां का दाहिना वक्ष गिरा था। यहां देवी सती को शिवानी के नाम से पूजा जाता है।

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श्री उमा शक्तिपीठ, वृंदावन –

मथुरा के वृंदावन में श्री उमा शक्तिपीठ स्थित है। इस मंदिर को कात्यायनी पीठ भी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार, इस स्थान पर माता के केश व चूड़ामणि गिरे थे। कहा जाता है कि इस मंदिर में श्रीकृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए राधारानी ने पूजा की थी। इसका उल्लेख श्रीमद् भागवत में भी मिलता है।

पंच सागर शक्तिपीठ, वाराणसी –

वाराणसी में स्थित इस शक्तिपीठ के बारे में माना जाता है कि यहां माता के दांत गिरे थे। देवी सती को यहां मां वराही के रूप में पूजा जाता है, हालांकि इस शक्तिपीठ का स्थान निश्चित नहीं है। देवी वराही अपने हाथ में चक्र, तलवार और शंख धारण किये रहती हैं।

पाटेश्वरी देवी, बलरामपुर –

51 शक्तिपीठों में एक शक्तिपीठ यूपी के बलरामपुर जिले में भी स्थित है। कहा जाता है कि यहां माता का कंधा और पट गिरा था। यहां माता सती की पाटेश्वरी देवी के रूप में आराधना की जाती है। माना जाता है कि यहां स्थित कुंड मंे स्नान करने पर लोगों को अपने पापों से मुक्ति मिलती है।

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