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भाजपा में संगठन के मुखिया की तलाश तेज, दिनेश और श्रीकांत रेस में सबसे आगे

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नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश में रिकॉर्ड बहुमत के साथ भारतीय जनता पार्टी ने लगातार दूसरी बार सरकार का गठन कर लिया है। नई सरकार में प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह को भी कैबिनेट मंत्री के तौर पर सरकार में शामिल किया गया है। इसके बाद से ही भाजपा जोर-शोर से अब संगठन के मुखिया (प्रदेश अध्यक्ष) की तलाश कर रही है। भाजपा के एक दिग्गज नेता ने बताया कि सरकार गठन में उत्तर प्रदेश के जिन-जिन क्षेत्रों को जगह दी गई है उसे देखते हुए प्रदेश अध्यक्ष के पद के लिए इस बार सबसे मजबूत दावा पश्चिम उत्तर प्रदेश का बनता है। ध्यान रहे कि पश्चिमी उत्तर के इस इलाके में ब्रज का हिस्सा भी शामिल माना जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार प्रदेश अध्यक्ष के पद के लिए पार्टी आलाकमान कई नामों पर विचार कर रहा है। इनमें विधायक, विधान परिषद सदस्य और सांसद भी शामिल है। योगी आदित्यनाथ की नई सरकार में इस बार पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा को नहीं शामिल किए जाने के कारण के बारे में पूछे जाने पर भाजपा के एक दिग्गज नेता ने कहा कि दोनों ही नेताओं को संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है और सरकार नहीं तो संगठन में पार्टी निश्चित तौर पर उनकी क्षमता का उपयोग करेगी। इनके अलावा कन्नौज में समाजवादी पार्टी का गढ़ ढहाने वाले लोकसभा सांसद सुब्रत पाठक और बस्ती के लोकसभा सांसद हरीश द्विवेदी भी प्रदेश अध्यक्ष की रेस में बताए जा रहे हैं। हालांकि इन सभी नेताओं में श्रीकांत शर्मा ब्रज क्षेत्र से आने के कारण रेस में सबसे आगे माने जा रहे हैं। दरअसल यह तय माना जा रहा है कि भाजपा उत्तर प्रदेश में संगठन की कमान किसी ब्राह्मण नेता को ही सौंप सकती है। 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान केसरीनाथ त्रिपाठी उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष थे तो वहीं 2009 लोकसभा चुनाव के दौरान रमापति राम त्रिपाठी के हाथ में उत्तर प्रदेश भाजपा की कमान थी। 2014 के लोकसभा चुनाव के समय मेरठ से ताल्लुक रखने वाले पार्टी के बड़े ब्राह्मण नेता लक्ष्मीकांत वाजपेयी प्रदेश अध्यक्ष थे और 2019 के लोकसभा चुनाव के समय भाजपा ने महेंद्र नाथ पांडेय को उत्तर प्रदेश में संगठन की कमान सौंपी हुई थी।

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इसी पैटर्न का हवाला देते हुए भाजपा के एक अन्य दिग्गज नेता ने बताया कि इस बार भी ब्राह्मण चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। दरअसल, 2 वर्ष बाद 2024 में लोकसभा का चुनाव होना है और इसके मद्देनजर तमाम जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधते हुए भाजपा को एक ऐसे मजबूत चेहरे की तलाश है जो उत्तर प्रदेश में उसके चुनावी लक्ष्यों को हासिल करने में मददगार साबित हो सके। देश की लोकसभा में सबसे ज्यादा 80 सांसद भेजने वाले उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर भाजपा कोई कोताही नहीं बरतना चाहती है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ही , भाजपा उत्तर प्रदेश संगठन में बड़े बदलाव की भी तैयारी कर रही है। एक तरफ जहां योगी सरकार से 22 मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। वहीं प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह एवं अरविंद शर्मा, प्रदेश के ताकतवर महासचिव जेपीएस राठौड़ और नरेंद्र कश्यप सहित संगठन के कई महत्वपूर्ण नेताओं को मंत्री बना दिया गया है। ऐसे में पार्टी प्रदेश संगठन में भी बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। प्रदेश संगठन महासचिव सुनील बंसल इसे लेकर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं और कई स्तरों से फीडबैक लेने के बाद ही आलाकमान प्रदेश अध्यक्ष सहित संगठन में होने वाले फेरबदल पर अपनी मुहर लगाएगा।

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