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भीषण गर्मी ने बढ़ाई मटको की बिक्री, ऑनलाइन सेल्स कंपनियों को भारी मुनाफा

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आधुनिक चकाचौंध में टेक्नोलॉजी के युग में देसी मटकों (Matka) का क्रेज आज भी बरकरार है। लोग आज भी ठंढ़ा पानी पीने के लिए मटकों (Matka) का इस्तेमाल कर रहें है। यहां तक की चिकित्सक भी मरीजों को मटके का पानी पीने की सलाह दे रहे है। मटके का पानी ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है साथ ही शरीर का बैड कोलेस्ट्रॉल भी कम करता है। मिट्टी का ये आइटम न सिर्फ मन को भाता है, बल्कि चिलचिलाती गर्मी में सूखे गलों को भी तरबतर कर देता है। वहीं गर्मियों में जब घड़ों की डिमांड बढ़ती है तो कुम्हारों का व्यवसाय भी खूब फलने-फूलने लगता है साथ ही इस सीजन में उनकी आमदनी में अचानक से उछाल आता है।

मटकों की कीमत में बढ़ोतरी 

बता दें, इस समय मटकों की कीमत दो सौ से लेकर हजार रुपए तक पहुंची हुई है। मटको की बढ़ती डिमांड को देखकर अब ऑनलाइन सेल्स कंपनियां भी तेजी से मटके के व्यापार में बढ़ोतरी कर रहीं है। वो कुम्हारों को ऑर्डर देकर मटके बनवाते हैं, फिर उच्च दामों में ऑनलाइन बेचती हैं। मई-जून में गर्मी का सितम जब नॉनस्टॉप होता है तो लोगों को देसी मटके की याद अचानक से आनी शुरू हो जाती है। आधुनिक युग में शायद ही कोई घर ऐसा हो, जिनके यहां फ्रिज न हो। इसके बाद भी गर्मी आते ही लोगों को मटके (Matka) का पानी पीना पसंद आता है।

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दरअसल, मटका एक प्राकृतिक कटोरा है जो मानव द्वारा निर्मित मात्र है जिसकी अंदरुनी दीवारें पानी को ठंडा बनाती हैं। मटके के धातु और मिट्टी के भीतर रखे गए पानी के संपर्क से पानी की ठंडक सूखने की प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है जिसमें पानी लंबे वक्त तक ठंडा रहता है। साथ ही घड़े का पानी कई बीमारियों से लड़ने की ताकत भी देता है।

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