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Auraiya: मकान की कच्ची दीवार गिरी, मलबे में दबकर पति-पत्नी और बच्चे की मौत

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औरैयाः जिले के कुदरकोट थाना क्षेत्र अंतर्गत एक परिवार पर सोते समय मिट्टी से बनी कच्ची दीवार गिर गई। हादसे में दम्पति और एक बेटा समेत तीन लोगों की मौत हो गई जबकि तीन बच्चे घायल हो गए। ग्रामीणों की मदद से मलबा हटाते हुए मौके पर पहुंची पुलिस ने सभी घायलों को एम्बुलेंस से अस्पताल पहुंचाया, जहां से हालत गंभीर देख तीनों को सैफई मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया गया है। मामले में जिलाधिकारी ने जांच कर कार्रवाई की बात कही है, वहीं पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम भेजते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है।

मिली जानकारी के अनुसार कुदरकोट थाना क्षेत्र के गोपियापुर में इंद्रवीर (45), पत्नी शकुंतला (40) व चार बेटों आकाश (14), विकास (13), अनुराग (10), व अंशु (6) के साथ कच्चे मकान में रहते थे। शनिवार को गृहस्वामी समेत पूरा परिवार सो रहा था तभी अचानक एक कच्ची दीवार उन सभी पर आ गिरी। परिवार के सभी लोगों की चीख पुकार मच गई और दीवार के मलबे में दब गए। आवाज सुनकर ग्रामीण मौके पर दौड़कर पहुंचे और घटना की जानकारी पुलिस को देते हुए मलबे में दबे लोगों को बाहर निकालने में जुट गए। इस बीच सूचना मिलते ही पुलिस पहुंची और मलबे में बच्चों समेत दबे गृहस्वामी को बाहर निकाला और एम्बुलेंस से बिधूना सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने इंद्रवीर, उसकी पत्नी शकुंतला एवं बेटे विकास को मृत घोषित कर दिया। जबकि घायल हालत में बच्चे आकाश, अनुराग व अंशु को प्राथमिक उपचार के बाद सैफई रेफर कर दिया। ग्रामीणों की माने तो यह परिवार दीवार के नीचे छप्पर डाल कर रह रहा था और कच्ची दीवार गिरने से दर्दनाक हादसा हुआ है। ग्रामीणों ने बताया इन्द्रवीर के पास मकान नहीं था। वह गांव में बने बारात घर में खाना बनाता था और सोने के लिए कच्चे दीवार के सहारे बने छप्पर के नीचे सोने परिवार के साथ आ जाता था। यह दीवार गिरने से इंद्रवीर का पूरा परिवार उसकी चपेट में आकर इतना बड़ा हादसा हो गया। घटना की जानकारी मिलते ही

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जिलाधिकारी पीसी श्रीवास्तव एवं पुलिस अधीक्षक चारु निगम मौके पर पहुंची। जिलाधिकारी ने सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में घायल बच्चों का हालचाल लिया और बेहतर इलाज उपलब्ध कराने को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने बताया कि आवास योजना में इंद्रवीर का नाम था और कुछ पैसा खाते में आया था। वह मकान बनाने वाले ही थे कि यह हादसा हो गया। जिलाधिकारी पीसी श्रीवास्तव ने कहा कि आखिर अभी तक परिवार को आवास क्यों नही मिला, इसकी जांच कराई जाएगी। इंद्रवीर की मौत और उसके परिवार के साथ घटी इस घटना को लेकर आखिर कार सवाल यह उठता है कि इससे पहले रहे प्रधानों द्वारा ऐसे लोगों को आवास क्यों नहीं दिया गया। जब सूची तैयार हुई होगी तो क्यों नाम नहीं आया। इस हादसे के बाद आवास योजना में जिला स्तरीय अधिकारियों व जिम्मेदारों की कार्यशैली पर सवाल उठना लाजमी है। फिलहाल सिस्टम की लापरवाही से एक परिवार काल के गाल में समां कर बिखर गया।

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