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मीठी क्रांति से देश में बढ़ रहा है शहद का उत्पादन और निर्यात

नई दिल्लीः राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम) के साथ मीठी क्रांति जैसी पहल से देश में शहद का उत्पादन और निर्यात बढ़ रहा है। वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन के विकास के लिए मीठी क्रांति के तहत 300 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। साथ ही, एनबीएचएम को आत्मनिर्भर भारत अभियान में केंद्र सरकार की ओर से 500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। विश्व मधुमक्खी दिवस पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली में शहद परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित करने की परियोजना का शुभारंभ किया। इस अवसर पर तोमर ने कहा कि गांव- गरीब- किसानों के लिए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार पूरी तरह समर्पित है। प्रधानमंत्री मोदी ने सब्सिडी बढ़ाने का ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए खाद के बढ़े हुए भाव का बोझ किसानों पर नहीं आने दिया है।

केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि किसानों को जब डीएपी का एक बैग 1200 रूपए में मिलता था, तब इसकी वास्तविक कीमत 1700 रुपये होती थी, 500 रुपये सरकार देती थी। अचानक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया आदि के भाव बढ़ने के कारण डीएपी की कीमत बढ़ी, जिससे एक बैग 2400 रुपये का हो गया। ऐसे में यदि सरकार की ओर से 500 रुपये प्रति बैग की ही सहायता मिलती होती तो किसानों को बैग 1900 रुपये में पड़ता।

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कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि देश में शहद का उत्पादन और निर्यात बढ़ रहा है तथा अच्छी गुणवत्ता के शहद के लिए भी पूरे प्रयास हो रहे हैं। छोटे-मझौले किसान इस काम से जुड़े ताकि उनकी आमदनी बढ़े, इसके लिए इस काम को प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने तेज गति दी है। राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन में समग्र संवर्धन तथा वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन के विकास व ‘मीठी क्रांति’ का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए 300 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। साथ ही, एनबीएचएम को आत्मनिर्भर भारत अभियान में केंद्र सरकार द्वारा 500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसमें राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड आणंद में 5 करोड़ रुपये की सहायता से विश्वस्तरीय स्टेट आफ द आर्ट हनी टेस्टिंग लैब स्थापित की जा चुकी है।

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