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अमेजन-फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच रोकने का आदेश हाईकोर्ट में खारिज, कैट ने किया स्वागत

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नई दिल्ली: अमेजन-फ्लिपकार्ट के ई-कॉमर्स व्यापार मॉडल के खिलाफ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की जांच पर लगे स्टे को कर्नाटक हाईकोर्ट की डबल बेंच ने शुक्रवार को खारिज कर दिया। इससे सीसीआई द्वारा अमेजन-फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच का मार्ग प्रशस्त हो गया है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुआ कहा कि अब सीसीआई को अमेजन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच शुरू करने में की देरी नहीं करनी चाहिए।

गौरतलब है कि सीसीआई ने प्रतिस्पर्धा कानून तहत अमेजन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ जनवरी 2020 में जांच का आदेश दिया था, जिसके बाद ये दोनों ई-कॉमर्स कंपनियों ने फरवरी 2020 में कर्नाटक हाईकोर्ट से स्थगन आदेश ले लिया था। इसके बाद सीसीआई ने हाईकोर्ट में एक अपील दाखिल की थी, जिसके बाद न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई कर जून में अमेजन और फ्लिपकार्ट की याचिका को ख़ारिज कर दिया था। कोर्ट के इस फैसले का इन दोनों ई-कॉमर्स कंपनियों ने उच्च न्यायालय की डबल बेंच में अपील की, जिसे हाईकोर्ट ने आज ख़ारिज कर दिया।

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कैट महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने हाईकोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि इस आदेश के बाद अमेजन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच शुरू करने में कोई बाधा नहीं है। इसलिए अब सीसीआई को तुरंत इन दोनों ई-कॉमर्स कंपनियों का भारत में उसके बिजनेस मॉडल के खिलाफ जांच शुरू करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह केंद्र और राज्य सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि जो लोग लगातार कानून और नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं उन पर नकेल कसी जाए।

उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स क्षेत्र में विदेशी कंपनियां भारत को कमजोर देश मानकर मनमर्जी कर रही हैं। इन कंपनियों के लिए कानूनों, नीतियों और नियमों की अनिवार्य पालना का कोई महत्व नहीं है, जिससे देश के छोटे व्यापारियों को बहुत नुकसान हो रहा है। इसलिए अब केंद्र सरकार को इन कंपनियों के खिलाफ सभी संभव कदम उठाते हुए सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

उन्होंने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से आग्रह किया कि इन विदेशी फंडिंग वाली ई-कॉमर्स कंपनियों को भारत के क़ानून, नियम एवं नीतियों की अनिवार्य पालना के लिए बाध्य करना चाहिए। कैट महामंत्री ने पीयूष से आग्रह किया है एफडीआई नीति के प्रेस नोट नंबर 2 की जगह बहुप्रतीक्षित नया प्रेस नोट तुरंत जारी किया जाए।