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प्रयागराज की इस विधानसभा सीट पर कभी नहीं खिला कमल, किला भेदने को भाजपा ने कसी कमर

प्रयागराजः प्रयागराज की करछना विधानसभा ही एकमात्र ऐसी सीट है जहां भाजपा का कब्जा कभी नहीं हो पाया। लेकिन इस वर्ष के चुनाव में लोग उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार सम्भवतः यह सीट भाजपा के कब्जे में होगी। क्योंकि इस सीट का रिकार्ड रहा है कि जो पार्टी दूसरे नंबर पर रही, वही अगली बार जीतती आयी है। फिलहाल, चुनावी किला भेदने के लिए सभी पार्टियों ने कमर कस ली है। इस बार भाजपा भी अपनी तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। करछना विधानसभा सीट पर अभी तक भारतीय जनता पार्टी की दाल नहीं गली है। भाजपा 2022 में इस सीट को जीतने के लिए अभी से तैयारी में जुट गयी है। जबकि रेवती रमण सिंह का दावा है कि करछना की जनता से उनका दशकों पुराना नाता है और जनता उन्हें इस बार भी विजयी बनाएगी। अब उनके दावे में कितना दम है यह तो वक्त ही बताएगा।

इस सीट पर डालते हैं एक नजर
करछना विधान सभा में कुल 356 गांव आते हैं। मतदाताओं की बात करें तो यहां 2017 में 3 लाख 28 हजार 701 मतदाता रहे। जिसमें 1 लाख 82 हजार से ज्यादा पुरुष मतदाता, जबकि 1 लाख 46 हजार से अधिक महिला मतदाता रहे। जबकि वर्ष 2022 में 18,177 मतदाता बढ़ कर कुल 3,46,878 हो गये हैं।

उज्ज्वल रमण के सामने जीत बरकरार रखने की चुनौती
2017 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो पूरे प्रदेश में भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर चल रही थी। प्रयागराज की 12 विधानसभा सीटों में से 9 सीटों पर बीजेपी ने कमल खिलाया था, लेकिन इस लहर में भी प्रयागराज की करछना विधानसभा सीट पर रेवती रमण सिंह के बेटे उज्ज्वल रमण सिंह ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की। पिछली बार 8 सीटों पर कब्जा जमाने वाली सपा का मुश्किल से यही एक प्रत्याशी करछना में जीत सका। जबकि बसपा मात्र दो सीटों पर सिमट गई। यह पहला मौका था जब भाजपा को इस सीट पर दूसरे स्थान तक पहुंचने का मौका मिला था। हालांकि 2017 में दूसरे स्थान तक पहुंचने से भाजपा नेताओं में उम्मीद जगी है, जिसे आंकड़ों में भुनाने की पूरी कोशिश भाजपा करेगी। बहरहाल करछना सीट पर जीत हासिल करना भाजपा के लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं होगा। लेकिन सपा के इस गढ़ में सेंधमारी कर पाना इतना आसान भी नहीं होगा। एक तरफ जहां इस सीट पर उज्ज्वल रमण जीत का सिलसिला बरकरार रखना चाहेंगे तो वहीं 2017 के परिणाम से उम्मीद जगाये बैठी भाजपा आगामी चुनाव में इतिहास रचने की कोशिश करेगी। इस विधानसभा में सबसे अधिक रोचक तथ्य यह है कि जनता ने विकास को भी प्राथमिकता दी है।

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अब तक हुए चुनाव पर एक नजर
करछना विधानसभा से 1957 में कांग्रेस से कमल कुमार गोइंदी, 1962 में पीएसपी से सत्य नारायण पांडेय, 1967 में एस दीन, 1969 राम किशोर शुक्ला चुने गये थे। इसके बाद 1974 एवं 1977 में जेएनपी से रेवती रमण सिंह चुने गये, उन्होंने कांग्रेस के केपी तिवारी को पराजित कर जीत दर्ज की थी। लेकिन 1980 में केपी तिवारी ने रमन सिंह को हरा कर हिसाब बराबर किया। इसके बाद राजीव गांधी के दौर में 1985 में रेवती रमण ने केपी तिवारी को हराकर जनता पार्टी के झंडे को बुलंद किया और 1989 में भी रमन सिंह ने केपी तिवारी को पुनः हराया। इसके बाद 1991 में रेवती रमन सिंह जेडी से लड़े और जीत गये, उन्होंने बसपा के नंदलाल सिंह पटेल को पराजित किया। लेकिन 1993 में बसपा का खाता खुला और नंदलाल सिंह पटेल ने रमण सिंह को हरा दिया। 1996 में रेवती रमण सिंह साइकिल पर सवार हुए और बसपा के परशुराम निषाद को हराया। 2002 में उन्होंने पुनः बसपा के बाल कुमार को हराया। 2007 में बसपा से आनंद कुमार पाण्डेय ने सपा के उज्ज्वल रमण सिंह को हराकर सीट छीन ली। 2012 में बसपा से दीपक पटेल ने सपा के उज्ज्वल रमण सिंह को पराजित कर कब्जा बरकरार रखा। 2017 में भाजपा की आंधी में भी सपा के उज्ज्वल रमण सिंह ने भाजपा के पीयूष रंजन को पराजित किया।

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