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विधानसभा में गूंजा मंहगाई, बाढ़ व आरक्षण का मुद्दा, सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने किया बहिर्गमन

लखनऊः उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में बुधवार को मंहगाई, बाढ़ और आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। सरकार के जवाब से असंतुष्ट समाजवादी पार्टी के विधायकों ने दो बार तो कांग्रेस के सदस्यों ने एक बार सदन से बर्हिगमन किया। सदन में सरकार द्वारा अनुपूरक बजट पेश करने के बाद नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने मंहगाई का मुद्दा उठाया और सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में दाल, चावल, पेट्रोल-डीजल, घरेलू गैस, सीमेंट, सरिया, बालू और मोरंग समेत सभी आवश्यक वस्तुएं मंहगी हो गई हैं। उन्होंने कहा कि इस समय सब कुछ मंहगा है। सस्ता है तो केवल लोगों की जान। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार मुफ्त टीकाकरण, मुफ्त अनाज और मुफ्त घरेलू गैस देने का ढिंढोरा पीट रही है, जबकि हकीकत यह है कि सरकार जनता से दस रुपए वसूल करके केवल चार रुपए वापस रही है और छह रुपए गप कर ले रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जो लोग गरीब थे, वे आज और गरीब हो गए हैं। वहीं जो अमीर थे उनकी आमदनी कोरोना काल में भी खरबों रुपए बढ़ गई है।

राम गोविंद चौधरी ने कहा कि कोरोना काल में प्रदेश के गरीब मजदूर जो दूसरे राज्यों में मजदूरी करते थे, वे सब बेरोजगार हो गए हैं। आज उनकी स्थिति बद से बदतर है। कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने मंहगाई के मुद्दे पर कहा कि आज गरीब की थाली से सब्जी और दाल गायब हो चुकी है। बच्चों के मुंह से दूध भी सरकार ने छीन लिया। उन्होंने कहा कि महंगाई से पूरा प्रदेश परेशान है। लोगों को घर चलाना मुश्किल हो गया। कांग्रेस नेता ने सरकार पर कालाबाजारी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप भी लगाया। इसके बाद कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने मंहगाई के मुद्दे पर सरकार की तरफ से दोनों नेताओं का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में दवाइयां आज भी सस्ती हैं। सरकार ने कोरोना संकट के दौरान लोगों के लिए मुफ्त इलाज की व्यवस्था की। पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों के बारे में कृषि मंत्री ने कहा कि इनके दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार द्वारा निर्धारित होते हैं। ये राज्य सरकार के नियंत्रण में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उप्र में पेट्रोल और डीजल पर राज्य कर कम लगा है, इसीलिए राजस्थान और महाराष्ट्र समेत कई कांग्रेस शासित राज्यों की तुलना में उप्र में पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम हैं। इसके बाद सरकार के जवाब से असंतुष्ट सपा और कांग्रेस के सदस्यों ने सदन से बर्हिगमन कर दिया।

बाढ़ के मुद्दे पर जल शक्ति मंत्री ने दिया जवाब
इसके बाद बसपा के उमाशंकर सिंह ने बाढ़ का मुद्दा उठाया तो सरकार की तरफ से जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने जवाब दिया। मंत्री ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारें बाढ़ का पैसा मार्च व अप्रैल में जारी करती थीं, लेकिन यह पहली बार हुआ कि योगी सरकार ने बाढ़ का पैसा जनवरी में ही जारी कर दिया था। उन्होंने बताया कि तीन अगस्त को राजस्थान और मध्य प्रदेश से करीब 25 लाख क्यूसिक बाढ़ का पानी छोड़ा गया था, जिससे इटावा, औरैया, प्रयागराज और वाराणसी समेत राज्य के कई जिलों में भयंकर बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सभी प्रभारी मंत्रियों ने बड़ी ही तत्परता के साथ बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर बचाव कार्य और व्यवस्था को सुदृढ़ किया। मंत्री ने कहा कि सरकार की तत्परता के चलते भीषण बाढ़ में भी कोई जनहानि नहीं हुई और न ही कोई बंधा टूटा।

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आरक्षण के मुद्दे पर सपा का बहिर्गमन
इसके बाद विधायक लालजी वर्मा ने 69000 अध्यापकों की भर्ती में पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति के आरक्षण के मानक के साथ धोखा करने का आरोप सरकार पर लगाया। इस पर बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि अध्यापकों की नियुक्ति में आरक्षण के नियमों का पूरा पालन किया गया है। उन्होंने कहा कि पूरी नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ हुई है। इस दौरान मंत्री ने यह भी कहा कि अध्यापकों की नियुक्ति में अभ्यर्थियों को बहकाकर आंदोलन करवाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा के लोग लड़कों को भेजकर मेरे घर भी प्रदर्शन करवाते हैं। मंत्री के इस आरोप पर सपा के सदस्य सदन में हंगामा करने लगे। नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने सरकार पर पलटवार करते हुए कहा कि नियुक्तियों में धांधली हुई है। आरक्षण के नियमों का उल्लंघन हुआ है। अभ्यर्थियों के आंदोलन को राजनीतिक रुप दिया जा रहा है। सरकार पर आरक्षण विरोधी होने का आरोप लगाते हुए सपा विधायकों के साथ वह सदन से बहिर्गमन कर दिए।

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