Home आस्था Karwa Chauth: सिद्धि योग में मनाया जाएगा करवा चौथ का पर्व, जानें...

Karwa Chauth: सिद्धि योग में मनाया जाएगा करवा चौथ का पर्व, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा

नई दिल्लीः हिंदू धर्म में करवा चौथ साल की सबसे बड़ी चतुर्थी और महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। सुहागिन महिलाओं के सौभाग्य का प्रतीक करवा चौथ का त्योहार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व उत्तर भारत में विशेष तौर पर मनाया जाता है। इस बार करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस साल का करवा चौथ का त्योहार बेहद शुभ संयोग में मनाया जाएगा।

करवा चौथ का शुभ मुहूर्त
इस बार करवा चौथ के अवसर पर विशेष संयोग बन रहा है। 13 अक्टूबर करवा चौथ को रात 8.15 बजे चंद्रोदय होगा। इस दिन सिद्धि योग के साथ कृतिका और रोहिणी नक्षत्र भी विद्यमान रहेंगे, जबकि चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेगा। शास्त्रों के अनुसार इसी सिद्धि योग में भगवान शिव ने पार्वती को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्रदान किया था।

करवा चौथ के पूजा विधि
करवा चौथ में व्रती चन्द्रमा, शिव पार्वती, स्वामी कार्तिकेय और गौरा की मूर्तियों की पूजा षोंडशोपचार विधि से विधिवत करके एक मिट्टी के पात्र में चावल, उड़द दाल, सुहाग सामग्री सिंदूर, चूड़ी एवं रुपये रखकर उम्र में बड़ी सुहागन महिला के पाँव छूकर उन्हें भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त करें। करवा चौथ शुरू करने वाली नवविवाहिता को 13 करवा या कलश स्थापना कर पूजा करनी चाहिए। करवा चौथ का व्रत वैसे एक बार शुरू करने के बाद पति के जीवित रहने तक किया जाता है। लेकिन किसी कारणवश अगर यह व्रत न कर पाएं तो इसका उद्यापन कर देना चाहिए। करवा चौथ का उद्यापन करवा चौथ वाले दिन ही किया जाता है। परिवार की सुख-समृद्धि, संतान के उत्तम स्वास्थ्य और पति की लंबी आयु की कामना से ये व्रत हो तो उत्तम होता है।

ये भी पढ़ें..करवा चौथ पर चाहती हैं पार्लर जैसा ग्लो, तो बिना खर्च…

करवा चौथ की कथा
एक समय इंद्रप्रस्थ नामक स्थान पर वेद शर्मा नामक ब्राह्मण अपनी पत्नी लीलावती के साथ निवास करता था। उसके सात पुत्र और वीरावती नाम की एक पुत्री थी। युवा होने पर वीरावती का विवाह कर दिया गया। जब कार्तिक कृष्ण चतुर्थी आयी तो वीरावती ने अपनी भाभियों के साथ करवा चौथ का व्रत रखा। लेकिन भूख प्यास सह नहीं पाने के कारण चंद्रोदय से पूर्व ही वह मूर्छित हो गई। बहन की यह हालत भाइयों से देखी नहीं गई तो भाइयों ने एक पेड़ के पीछे से जलती मशाल की रोशनी दिखाई और बहन को चेतनावस्था में ले आए। वीरावती ने भाइयों की बात मानकर भोजन कर लिया। ऐसा करने से कुछ समय बाद ही उसके पति की मृत्यु हो गई। उसी रात इंद्राणी पृथ्वी पर आयी। वीरावती ने उससे इस घटना का कारण पूछा तो इंद्राणी ने कहा कि तुमने भ्रम में फंसकर चंद्रोदय होने से पहले ही भोजन कर लिया। इसलिए तुम्हारा यह हाल हुआ है। पति को पुनर्जीवित करने के लिए तुम विधिपूर्वक करवा चतुर्थी व्रत का संकल्प करो और अगली करवा चतुर्थी आने पर व्रत पूर्ण करो। इंद्राणी का सुझाव मानकर वीरावती से संकल्प लिया तो उसका पति जीवित हो गया। फिर अगला करवा चतुर्थी आने पर वीरावती से विधि विधान से व्रत पूर्ण किया।

अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक औरट्विटरपर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…

Exit mobile version