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यूपी की राजनीति में ‘गमछा’ का चलन हुआ पुराना, अब ‘टोपियों’ का आया जमाना

लखनऊः उत्तर प्रदेश की राजनीति में ‘गमछा’ का चलन अब पुराना हो चुका है और ‘टोपियों’ की अहमियत बढ़ रही है। मार्च में गुजरात में एक रोड शो के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवा टोपी पहनी थी। जिसके बाद से भाजपा नेताओं को अप्रैल में पार्टी के स्थापना दिवस समारोह के दौरान समान टोपी पहने देखा गया था। उत्तर प्रदेश इस प्रवृत्ति को तेजी से आगे बढ़ा रहा है। भाजपा विधायकों को हाल ही में सामान्य भगवा गमछा के बजाय भगवा टोपी पहने देखा गया था।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कहा जाता है डिजाइन की गई टोपी को मंजूरी मिलने से पहले कई बार समीक्षा की गई है। खास बात तो ये है कि इन फैशनेबल टोपी पर पतली कढ़ाई के साथ-साथ प्लास्टिक का लोटस पिन किया गया है, जो पार्टी के चुनाव चिन्ह को चिह्न्ति करता है। सूत्रों ने कहा है, पार्टी ने अपने सभी सांसदों और वरिष्ठ नेताओं को सार्वजनिक रूप से टोपी पहनने को कहा है। वहीं भगवा रंग की टोपी आने वाले दिनों में भाजपा कार्यकर्ताओं की पहचान बनेगी। हाल के विधानसभा चुनावों के दौरान कैप्स एक चर्चा का विषय बन गया जब भाजपा नेताओं ने समाजवादी पार्टी के नेताओं द्वारा पहनी जाने वाली लाल टोपी पर निशाना साधा और चुनावी सभाओं के दौरान कहा कि लाल का मतलब खतरा है।

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हालांकि सपा ने प्रतिक्रिया स्वरूप हर आयोजन में ट्रेडमार्क लाल टोपी पहनना शुरू कर दिया। राजनीतिक समारोहों में भगवा और लाल रंग की बढ़ती प्रवृत्ति को देखकर पार्टी के अन्य नेताओं ने भी अपने सिर पर पार्टी का रंग पहनना शुरू कर दिया है। कांग्रेस नेता अब विधानसभा और सार्वजनिक समारोहों में सफेद टोपी पहनते हैं, जबकि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधायकों को पीली टोपी पहने देखा जा सकता है। बसपा नेताओं की गहरी नीली टोपी है जबकि अपना दल के नेता नीली और लाल टोपी पहनते हैं।

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