पंजाब राजनीति

पंजाब कांग्रेस और सरकार की कमान पटियाला के सिद्धू परिवारों के 'हाथ'

Chief Minister of Punjab Captain Amarinder Singh along with Former Cabinet Minister Punjab Navjot Singh Sidhu,

चंडीगढ़: जातीय समीकरण लेकर चल रही कांग्रेस अब इस समीकरण में मात खाती नजर आ रही है। पंजाब में कांग्रेस की सरकार और राज्य कांग्रेस की कमान अब राज्य के मालवा क्षेत्र के पटियाला में केंद्रित हो गई है। राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह और पंजाब कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू पटियाला से ही हैं। दोनों सिख परिवारों से और एक ही जाति सिद्धू से हैं।

सिद्धू की पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नियुक्ति को लेकर कांग्रेस और राज्य में विभिन्न चर्चाओं का सिलसिला शुरू हो गया है। सबसे बड़ी चर्चा कैप्टन और सिद्धू के मध्य टकराव की ही है क्योंकि कैप्टन पिछले ही माह सिद्धू को अपने मुकाबले पटियाला से विधानसभा चुनाव लड़ने की चुनौती दे चुके हैं।

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पंजाब कांग्रेस की प्रधानी को लेकर सिद्धू पार्टी हाई कमान के साथ-साथ राज्य में कांग्रेस के नेताओं और विधायकों से लाबिंग कर रह थे। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तो पार्टी हाईकमान को पत्र लिख कर सिद्धू को अध्यक्ष पद दिए जाने के विरोध में पार्टी में टूट की संभावना की भी बात कही थी। इसके बावजूद कांग्रेस ने कैप्टन के दबाव की परवाह न करते हुए रविवार की शाम को सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया। जिन बातों को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू अध्यक्ष बनने के लिए लाबिंग कर रहे थे, उनमें रेत माफिया, शराब माफिया, ट्रांसपोर्ट माफिया, महंगी और गायब रहने वाली बिजली, ग्रंथों की बेअदबी, नशों की समाप्ति मामले समेत करीब 16 मामले हैं। राज्य की सत्ता में आई कैप्टन सरकार करीब साढ़े चार वर्ष में इन मुद्दों को पूरा नहीं कर सकी है, अब सिद्धू को महज छह माह में इन्हें पूरा करना है।

हालांकि अभी सिद्धू की 'ताजपोशी' होनी है। सिद्धू की नियुक्ति के बाद राज्य के विभिन्न राजनीतिक दल नए सिरे से रणनीति बनाने को लेकर समीक्षा बैठकें करने जा रहे हैं। आम आदमी पार्टी तो आज से ही नए मंथन में जुट जाएगी। पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा का कहना था कि सबसे बड़ा प्रश्न ये ही होगा कि कांग्रेस की इस एक म्यान में दो तलवारें कैसे टिकेगी। पहले से ही कांग्रेस की आपसी लड़ाई ने पंजाब के विकास और राज्य के माहौल का नुकसान किया है, अब इसकी संभावना और बढ़ गई है।

अकाली दल के नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा की टिप्पणी थी कि आगे-आगे देखो होता है क्या, कांग्रेस का पंजाब में भी अंत आ गया है। उनका कहना था कि लोग पहले से ही मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से इसलिए खफा हैं कि वो मिलते ही नहीं और अब सिद्धू तो उनसे भी दो कदम आगे हैं। सिद्धू ने अक्सर ही मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोला है। अभी तो सिद्धू को बधाइयां देने वालों की भीड़ लगनी शुरू हो गई है।

दूसरी ओर राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बदली परिस्थितयों में आज विधायकों की एक बैठक बुलाई है। एक जिला कांग्रेस अध्यक्ष ने बताया कि बैठक में जिला अध्यक्षों और प्रभारियों को भी बुलाया गया है। अब सबकी नजरें कैप्टन की तरफ लग गई हैं।