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बक्सर में मिले शवों को गंगा नदी के किनारे ही गड्ढा खोदकर किया गया दफन

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पटनाः बिहार के बक्सर जिले के चौसा स्थित महादेवा घाट के निकट गंगा में तैरते मिले शवों को चौसा के बीडीओ और सीओ की देखरेख में गंगा किनारे की भूमि पर जेसीबी से खुदाई कर उसमें दफना दिया गया है। सोमवार शाम स्थानीय बीडीओ और सीओ ने बंसफोर जाति के लोगों को गंगा में मिले शवों को दफनाने के कार्य में लगाया था। पहले जेसीबी से गड्ढे की खुदाई कराई गयी और फिर एक-एक कर सभी शवों को दफन करा दिया गया।

चौसा के स्थानीय लोगों ने बताया कि एक दिन पूर्व चौसा के श्मशान घाट पर 100 के करीब तैरते शव देखे गए थे। सोमवार को यह संख्या आधी हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि यह शव यूपी के प्रयागराज और वाराणसी से तैरते हुए नही आये हैं बल्कि स्थानीय लोगों द्वारा मृतकों को चैसा के श्मशान घाट पर लाकर लकड़ी के अभाव में नदी में बहा दिया गया है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार चूंकि बक्सर के चरित्रवन स्थित गंगा नदी के घाट पौराणिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है और वहां सीमित संख्या में ही शव जलाए जा सकते हैं, इसलिए आठ दस किलोमीटर की दूरी तय कर बक्सर से लोग शवों को लाकर चौसा के श्मशान घाट पर ही नदी में बहा रहे हैं।

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बक्सर के डीएम अमन समीर ने बताया कि गाजीपुर और बलिया जिले के जिला प्रशासन से संवाद स्थापित किया गया है और यूपी से आने वाले शवों को बक्सर में ही सम्मान के साथ दफन कराने की बात कही गई है। हालांकि स्थानीय लोगों ने प्रशासन के यूपी से गंगा में तैरकर शवों के आने के दावे को सिरे से खारिज कर दिया है और बताया है कि सभी शव बक्सर के ही हैं जहां लोग अंतिम संस्कार के लिए आ रही समस्याओं और लकड़ी के अभाव के कारण गंगा नदी में बहा कर चले जाते हैं। स्थानीय लोगों का दावा है कि अधिकांश शव कोरोना संक्रमितों के हो सकते हैं।