Home देश 140 परिवार स्थायी नौकरी का कर रहे इंतजार, मुख्यमंत्री से लगाई गुहार

140 परिवार स्थायी नौकरी का कर रहे इंतजार, मुख्यमंत्री से लगाई गुहार

चेन्नईः तमिलनाडु के तिरुवल्लूर जिले के कट्टुपल्ली कुप्पम क्षेत्र के लगभग 140 परिवार अभी भी उस स्थायी नौकरी का इंतजार कर रहे हैं जिसका उन्हें वादा किया गया था। पीड़ित परिवारों और वरिष्ठ नागरिकों के एक समूह ने इस बाबत मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है। समुद्र में मछली पकड़कर अपनी आजीविका कमाने वाले परिवारों को निकटतम समुद्र तट से लगभग 2 किमी दूर एक स्थान पर आवास दिए गए थे।

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भले ही कंपनी ने लिखित में आश्वासन दिया था कि परिवार के एक सदस्य को स्थायी नौकरी प्रदान की जाएगी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उन्हें अस्थायी आधार पर नियुक्तियां दी गईं और उन्हें वेल्डिंग, फिटिंग और क्रेन संचालन के रूप में प्रशिक्षित किया गया और नौकरी दी गई। साजिथ लाल ने आईएएनएस को बताया, “हमें कंपनी द्वारा स्थायी नौकरी देने का वादा किया गया था और जिला प्रशासन ने इसका समर्थन किया था। वर्तमान में हम में से प्रत्येक को 16,000 रुपये का मामूली वेतन मिल रहा है, जबकि वही काम करने वाले और जो स्थायी रूप से हैं उन्हें अन्य लाभों के साथ हमारे वेतन का तीन गुना मिल रहा है।”

साजिथ ने कहा कि उनके अन्य कर्मचारी फरवरी से हड़ताल पर हैं लेकिन कंपनी व जिला प्रशासन उनकी एक नहीं सुन रहा है। प्रभावित परिवार के सदस्यों ने कहा कि तमिलनाडु औद्योगिक विकास निगम (टीडको) ने भी उनकी बात ठीक से नहीं सुनी और न ही उनकी समस्याओं का समाधान निकाला। इस मुद्दे को उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि कंपनी के आग्रह पर 2014 में श्रमिकों की एक सहकारी समिति का गठन किया गया था और इस सोसायटी के माध्यम से सरकार और श्रमिकों को रोजगार दिया जाता है।

आईएएनएस से बात करते हुए, सेंटर फॉर पॉलिसी एंड डेवलपमेंट स्टडीज के निदेशक सी. राजीव ने कहा, “सरकार को इससे पीछे नहीं हटना चाहिए और इस मामले को संबंधित कंपनी के साथ उठाना चाहिए।” जो कोई भी कंपनी का मालिक है, सरकार और तिरुवल्लूर जिला प्रशासन की मछुआरों के प्रति प्रतिबद्धता है और कट्टुपल्ली कुप्पम में मछुआरों के परिवार के कम से कम एक सदस्य को स्थायी रोजगार देने के लिए सभी आवश्यक सहायता प्रदान करनी चाहिए। हम इस मुद्दे को लेकर राज्य सरकार और केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय के साथ मामले को उठा रहे हैं।

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