काबुलः अफगानिस्तान में पिछले कई दिनों से चल रहे खूनी संघर्ष के बाद तालिबान ने आखिरकार सत्ता हासिल कर ली। करीब 20 साल बाद फिर से अफगानिस्तान में तालिबानियों की हुकूमत होगी। तालिबानियों की सत्ता का दौर कैसा होगा, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन जिस तरह से मुट्ठी भर तालिबानियों ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया है, उसकी रफ्तार ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है।
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तालिबानियों ने अफगानिस्तान का नाम बदलने का किया ऐलान
वहीं अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में रविवार को प्रवेश के साथ ही तालिबान ने ऐलान किया है कि देश का नाम इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान कर दिया जाएगा। तालिबान के एक अधिकारी ने कहा है कि इस नाम की घोषणा प्रेसीडेंसियल पैलेस से की जाएगी। उधर, अमेरिका के वरिष्ठ सैन्य कर्मचारी का कहना है कि काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को बंद करके सेना के व्यवसायिक विमान लगातार उड़ान भर रहे हैं।
काबुल में अपने सभी उपक्रम बंद कर अमेरिका ने अपने नागरिकों को सुरक्षित रहने और सभी के सुरक्षित एयरलिफ्ट कराने की बात कही है। भारत भी अपने दूतावास के स्टॉफ को सुरक्षित निकालने के लिए प्रयास कर रहा है। उधर, तालिबान का अफगानिस्तान में कब्जा होने पर फ्रांस ने काबुल से अपना दूतावास हटाकर दूसरी जगह स्थानांतरित किया है।
इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान करने का ऐलान
तालिबान के शीर्ष अधिकारी ने अफगानिस्तान का नाम बदलकर इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान करने का ऐलान करते हुए कहा कि किसी भी अफवाह से बचें। तनाव से बचे। तालिबान ने सभी सरकारी कर्मचारियों से कहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान 20 साल बाद लौट आया है। आइए मिलकर एक नई शुरुआत करते हैं। अब सवाल ये भी उठ रहे हैं कि आखिर अफगानिस्तान की सेना अपने से मुट्ठीभर तालिबानियों के सामने इतनी बेबस क्यों हो गई।
अमेरिका ने दिया ‘धोखा’
2001 में अफगानिस्तान से तालिबानियों का राज खत्म करने वाले अमेरिका ने करीब 20 साल तक अफगानिस्तान में अपनी मर्जी चलाई। वहां के सैनिकों को प्रशिक्षण देने की बड़े स्तर पर कवायद भी की। तालिबानियों के साथ ही पूरी दुनिया को ये पता था कि जब तक अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिक हैं, वहां तालिबानी राज का आ पाना मुश्किल है।
लेकिन इसी बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगानिस्तान से 31 अगस्त तक अपने सभी सैनिकों को वापस बुलाने की घोषणा कर दी। इसके बाद तालिबानियों के हौसले बुलंद होने लगे।
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