बदलते मौसम में खान-पान का रखें विशेष ध्यान, इन चीजों के सेवन से रहेंगे फिट

लखनऊः आयुर्वेद के अनुसार हमारा शरीर कफ, वात और पित्त के संतुलन पर निर्भर है। इनके असंतुलन से ही रोग होता है। मौसम का बदलाव पित्त को ज्यादा प्रभावित करता है। इस कारण वर्तमान में बदल रहे मौसम में लोगों को पित्त कारक चीजों के खाने से बचना चाहिए, वरना पेट से संबंधित तमाम बीमारियां हो सकती हैं।

मौसम में बदलाव के साथ इन चीजों से करें परेहज
मौसम में बदलाव के साथ ही ज्यादा मसाला, तली-भुनी चीजों को खाने से बचना चाहिए। ज्यादा देर का बना खाना खाने से भी रोग होने का खतरा बना रहता है। लोगों को पानी भी उबाल कर पीना चाहिए, क्योंकि इस मौसम में सर्वाधिक खतरा दूषित पानी से ही होता है। यदि पानी की स्वच्छता बनी रहे तो आधे से अधिक रोग ऐसे ही पास नहीं फटकेंगे। गर्भावस्था में भी महिलाओं को पित्त ज्यादा बना है, अंतिम माह में अम्लता की अधिकता महसूस होने लगती है।

दूषित भोजन से हो सकती है एसिडिटी की समस्या
एसिडिटी का एक कारण एच. पायलोरी जीवाणु भी है। यह संक्रमण दूषित खान-पान से होता है। इससे बचने का एक ही तरीका है, खाने-पीने की चीजों पर ध्यान दिया जाय। एसिडिटी की शुरुवात मुंह में पानी छूटकर और जी मचलने से होती है। एसिडिटी का दर्द सादे भोजन से कम होता है, लेकिन तीखे भोजन से तुरंत शुरू होता है। अम्लपित्तवाला दर्द छाती और नाभी के दरम्यान अनुभव होता है। जलन निरंतर होती है लेकिन ऐंठन-दर्द रूक रूक के होता है। कभी कभी दर्द असहनीय होता है। अम्लपित्त या जलन तत्कालिक हो तो अकसर उल्टी से ठीक हो जाती है।

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बदलते मौसम में इन चीजों का करें सेवन
बदलते मौसम में सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ऐसी चीजों का सेवन करना चाहिए जो वात को शांत रखे। इसलिए अनाज जैसे गेहूँ, जौ, शालि और साठी चावल, मक्का (भुट्टा), सरसों, राई, खीरा, खिचड़ी, दही, मट्ठा, मूँग खाएं। दालों में मूंग और अरहर की दाल खाना लाभकारी होता है। सब्जियों में भिण्डी, तोरई, लौकी, टमाटर और पुदीना की चटनी खाएं और सब्जियों का सूप पिएं। फलों में सेब, केला, अनार, नाशपाती खाएं।

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