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गर्भावस्था के दौरान खान-पान का रखें विशेष ध्यान, बच्चे के सही विकास के लिए जरूरी है संतुलित आहार

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लखनऊः गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अपने खान-पान का विशेष ख्याल रखना होता है। इस दौरान कई तरह के हार्मोनल बदलाव की वजह से आने वाली दिक्कतों से खान-पान में सुधार कर छुटकारा पाया जा सकता है। इसके साथ ही बच्चे के विकास के लिए भी संतुलित आहार भी बहुत जरूरी होता है।

इसको लेकर किंग जार्ज मेडिकल काॅलेज की सीनियर डाइटीशियन डाॅ. सुनीता सक्सेना से इंडिया पब्लिक खबर के संवाददाता पवन सिंह चैहान ने बातचीत की। डाॅ. सुनीता ने कहा कि गर्भवती महिला के जीवन में तीन त्रैमासिक होते हैं। पहले त्रैमासिक में गर्भवती महिला को सामान्य भोजन की ही जरूरत पड़ती है। इस काल के लिए उसे कोई विशेष प्रकार का भोजन लेने की आवश्यकता नहीं होती। इस काल में दाल, सब्जी, रोटी सलाद जैसी रूटीन डाइट से ही काम चल जाता है। दूसरी त्रैमासिक में भ्रूण का आकार बढ़ने लगता है। इस काल में गर्भवती महिला को अतिरिक्त भोजन और कुछ विशेष प्रकार का भोजन ग्रहण करने की आवश्यकता पड़ती है। इसका मतलब यह नहीं कि अब उसे दो लोगों का भोजन लेना होगा, बल्कि भोजन में दाल, सीजनल फल, दूध की मात्रा बढ़ाएं, दूध नहीं पी रहीं तो दही या मट्ठा ले सकते हैं। गर्भवती महिलाओं को हरी सब्जियों को अपने आहार में जरूर शामिल करना चाहिए।

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केजीएमयू की डाइटीशियन के अनुसार, तीसरे त्रैमासिक में बच्चा अपनी मेच्योरिटी की तरफ होता है, इसलिए इस स्थिति में एक भी तत्व की कमी नहीं होनी चाहिए। जैसा दूसरी त्रैमासिक में जरूरत थी, उसी प्रकार तीसरे त्रैमासिक में भी डाइट लेने की आवश्यकता पड़ती है। कुछ चीजें ज्यादा लेने की आवश्यकता होती है। जैसे कैलोरी की मात्रा दूसरे त्रैमासिक की अपेक्षा तीसरे त्रैमासिक में बढ़ाकर दी जाती है। कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि गर्भवती महिला को खाने में दूध, दालें, मौसमी फल व सब्जियां व मोटे अनाज को गर्भवती महिला को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए, जिससे किसी प्रकार के पौष्टिक तत्व की कमी न हो। गर्भवती महिला और बच्चे के विकास के लिए इस काल में कैल्शियम, आयरन और प्रोटीन की अत्यधिक जरूरत पड़ती है।

एनिमिया से ऐसे बचें -

गर्भवती महिलाओं में खून की कमी अक्सर देखने को मिलती है। इससे बचने के लिए साबुत दाल, हरी सब्जियां, अंडा, अंकुरित व मोटे अनाज को अपनी डाइट में अवश्य शामिल करना चाहिए। इससे आयरन की कमी नहीं होने पाती। आयरन की कमी को पूरा करने के लिए अच्छी मात्रा में प्रोटीन लेना चाहिए। विटामिन सी लेने के लिए संतरा, आंवला, नींबू पानी लेने से आयरन की मात्रा और ज्यादा बढ़ेगी।

हाई ब्लड प्रेशर का रहता है खतरा -

गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल बदलाव होने की वजह से जिन महिलाओं को शुगर व हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी नहीं होती, उनमें भी यह बीमारी घर कर लेती है। ऐसी स्थिति में डाॅक्टर की सलाह पर जो दवाई बताई गईं है, वह लेती रहें और मीठी चीजों का जैसे- गुड़, चीनी, शहद, कोल्ड ड्रिंक, फास्ट फूड, मिठाइयांे का परहेज अत्यन्त आवश्यक होता है। बच्चे के लिए यह दोनों शुगर ज्यादा होना और ब्लड प्रेशर बढ़ना खतरनाक होता है। बीपी कम करने के लिए एक दिन में डाई से तीन ग्राम ही नमक का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा प्रोटीन युक्त भोजन में दाल, राजमा, छोले, बीन्स, सोयाबीन, बादाम, अंडा, दही, दूध, मठ्ठा यह सारे कैल्शियम के स्रोत हैं।

  • पवन सिंह चौहान की रिपोर्ट

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