सर्दियों में शिशुओं की इस तरह करें खास देखभाल, इन बातों का रखें ध्यान

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नई दिल्ली: कड़ाके की ठंड और शीतलहर में शिशु की देखभाल सावधानी से करना बेहद जरूरी है। नवजात की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इस कारण इनको सर्दी-जुकाम और बुखार की समस्या जल्दी हो जाती है। नाजुक शरीर होने के कारण सर्दी में बच्चे की खास देखभाल जरूरी है। शीतलहर में बच्चों को बिना आवश्यक कार्य के बाहर लेकर न निकलें। कम से कम यात्रा करने का प्रयास करें। साथ ही गर्म कपड़े से सिर, गला, हाथ और पैरों को ढक कर रखें। गर्म ताजा एवं पौष्टिक भोजन करें। विटामिन-सी की प्रचुरता वाले फल और सब्जी का अधिक सेवन करें, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता तथा तापमान को नियंत्रित रखती है। उन्हें नियमित अंतराल पर गुनगुना पानी पिलाएं।

इन दिनों शिशु को आवश्यकतानुसार गर्म मुलायम कपड़े पहनाएं। इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे का सिर, गला और हाथ पूरी तरह से ढका हुआ हो, पैरों में गर्म मोजे हों। ठंड के दिनों में बच्चों को स्किन रैशेज का खतरा ज्यादा रहता है क्योंकि बच्चे दिन भर कपड़ों में ढके रहते हैं। ऐसे में बच्चों के कपड़ों का सही तरीके से चुनाव नहीं किया गया तो कुछ कपड़े बच्चों के लिए तकलीफदेह साबित हो सकते हैं।

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तापमान कम लगे तो डाॅक्टर से करें संपर्क-

ठंड में बच्चों को पानी में भीगने से बचायें। बच्चों को खुली हवा में खेलने से रोकें। इससे बच्चों में बुखार का खतरा बना रहता है। साथ ही निमोनिया भी हो सकता है। यह बीमारी सर्दी जुकाम का बिगड़ा हुआ रूप है जो आगे चलकर गंभीर साबित हो सकती है। गर्म पानी और तरल पदार्थ खिलाते रहें। बच्चों के हाथ साफ रखें ताकि वे संक्रामक रोग से बचे रहें। बच्चा अधिक थका हुआ लगे या उसके अंदर कुछ असमान्य परिवर्तन देखने को मिले तो सबसे पहले उसके शरीर का तापमान चेक करें। अगर शरीर का तापमान कम लगे तो यह समझ लेना चाहिए कि बच्चा अल्पताप या हाइपोथर्मिया की स्थिति में है। ऐसी स्थिति में तुरंत नजदीकी अस्पताल से संपर्क करना जरूरी है।

इन बातों का रखे ध्यान –

सर्दी के मौसम में बच्चे के ठंडा पानी पीने, आइसक्रीम खाने, रात में ओढ़कर न सोने से उसे सर्दी-जुकाम हो जाता है। शिशु का बिस्तर गर्म रखें, सुलाने से पहले हॉट वाटर बॉटल से बिस्तर गर्म कर लें। हो सके तो बच्चे के आसपास हीटर का प्रयोग न करें। करना भी पड़े तो ऑयल वाले हीटर को प्रयोग में लें। दो साल तक बच्चों को स्तनपान जरूर कराएं। बच्चे में यदि बुखार के लक्षण लगे तो उसे पालक, मेथी, बथुआ, टमाटर या हरे धनिए का सूप बनाकर दे सकते हैं। ठंड में शिशुओं को रोज न नहलाएं। रोज नहलाने की जगह गुनगुने पानी में टॉवल भिगोकर स्पॉन्जिंग करनी चाहिए। लेकिन यदि बच्चा थोड़ा बड़ा है तो रोज नहलाएं। नहलाने के बाद उसके शरीर की मालिश जरूर करें।

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