Bashar Al Assad : इस्लामी गुट हयात तहरीर अल-शाम के नेतृत्व में विद्रोही समूहों के गठबंधन ने सीरिया की राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया, जिससे पश्चिम एशियाई देश में बशर अल-असद (Bashar Al Assad) का 24 साल का शासन समाप्त हो गया। कई मीडिया रिपोर्ट्स में विद्रोही गुटों के हवाले से दावा किया जा रहा है कि सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर चले गए हैं। आखिर राष्ट्रपति असद कौन हैं और विद्रोही गुट उनके खिलाफ क्यों लड़ रहे हैं।
बशर ने 2000 में संभाली थी सीरिया की सत्ता
दरअसल 59 वर्षीय बशर अल-असद (Bashar Al Assad) ने अपने पिता हाफिज अल-असद की मौत के बाद 2000 में सीरिया की सत्ता संभाली थी। उनके पिता 1971 से देश पर शासन कर रहे थे। दमिश्क में जन्मे अल-असद ने राजधानी में मेडिकल स्कूल से स्नातक किया था। वह नेत्र विज्ञान में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए लंदन में अध्ययन कर रहे थे, जब उन्हें अपने भाई की मौत के बाद सीरिया लौटना पड़ा। बड़े भाई बासेल अल-असद को अपने पिता की जगह देश का नेता बनना था, लेकिन एक कार दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई, जिसके बाद असद को उत्तराधिकारी बनाया गया।
2012 शुरू हुआ विद्रोह गृहयुद्ध में बदला
2011 उनके शासन का सबसे महत्वपूर्ण वर्ष था, जब हजारों सीरियाई नागरिक लोकतंत्र की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे, लेकिन उन्हें भारी सरकारी दमन का सामना करना पड़ा। हालांकि, इस दौहान सरकार के विरोध में विभिन्न सशस्त्र विद्रोही गुटों का गठन किया गया और 2012 के मध्य तक, विद्रोह एक पूर्ण गृहयुद्ध में बदल गया। असद पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है, जिसमें युद्ध के दौरान सीरिया में रासायनिक हथियारों का उपयोग, कुर्दों का दमन और लोगों को जबरन गायब करना शामिल है।
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Bashar Al Assad: असद ने वर्षों तक विद्रोही गुटों से लड़ी लड़ाई
Bashar Al Assad ने रूस, ईरान और लेबनान के हिजबुल्लाह की मदद से वर्षों तक विद्रोही गुटों से सफलतापूर्वक लड़ाई लड़ी। लेकिन हाल के दिनों में विद्रोही गुटों की अचानक सक्रियता ने सीरियाई राष्ट्रपति के लिए एक बड़ी समस्या खड़ी कर दी है क्योंकि असद के तीन सहयोगी – रूस, हिजबुल्लाह और ईरान इजरायल अपने स्वयं के संघर्षों में उलझे हुए थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, असद की सेना सालों की जंग से तबाह हो चुकी थी और कई सैनिक उसकी तरफ से लड़ना भी नहीं चाहते थे। असद की सत्ता का गिरना रूस और ईरान के लिए बड़ा झटका है, जिन्होंने इस क्षेत्र में एक अहम सहयोगी खो दिया है।