चर्म रोग के मरीजों में बढ़ रही ब्लैक फंगस की शंका, समझानें में जुटे डॉक्टर

Uttar Pradesh, June 04 (ANI): Medical Superintendent Prof. K. K. Gupta greets a coronavirus patient with post covid black fungus disease, at Sir Sunderlal Hospital in Varanasi on Friday. (ANI Photo)

उज्जैनः ब्लैक फंगस की शंका में अब चर्म रोग के मरीज भी ईएनटी डॉक्टर्स के पास पहुंच रहे हैं। शंका का समाधान होने पर चर्म रोग विशेषज्ञों के पास जा रहे हैं। इस समय अंतराल में उनका बीपी बढ़ता है वहीं तनाव के चलते वे सो नहीं पाते हैं।

जानकारी के अनुसार आर डी गार्डी मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस का उपचार कर रहे डॉ.सुधाकर वैद्य के अनुसार ब्लैक फंगस नाम की बीमारी का प्रचार-प्रसार इतना हो गया कि लोग अपनी नाक के उपर या अंदर अथवा आंख के पास चर्म रोग के चलते काले चकते पड़ने पर घबरा रहे हैं और सीधे डॉक्टर के पास पहुंचकर पूछ रहे हैं कि हमें ब्लैक फंगस हो गया है तो क्या करें? कितना हुआ है? बच तो जाएंगे? जब जांच करके उन्हे बताया जाता है कि वे चर्म रोग के शिकार हैं, ब्लैक फंगस के नहीं। घबराएं नही और चर्म रोग चिकित्सक को दिखाएं। तब वे राहत की सांस लेते हैं। वे चर्चा में बताते हैं कि दो तीन दिन से सो नहीं पाए हैं, पूरा घर उन्हे आइशोलेट करके सीख देने में लगा है। रात को नींद नहीं आती है।

डॉ. वैद्य ने समझाया कि ब्लैक फंगस क्या है



डॉ. वैद्य के अनुसार ब्लैक फंगस वास्तव में म्यूकर मायोसिस है, जोकि म्यूकर मायोसिस्ट नामक फंगस के समूह से संबंधित है। वास्तव में यह पेट्री डिश के एक माध्यम पर उगने पर शुद्ध सफेद होती है। यह आमतौर पर पर्यावरण में पाई जाती है और कभी-कभी इसे स्वस्थ व्यक्तियों के नाक और साइनस से अलग किया जा सकता है जहां यह सामान्य रूप में पाई जाती है।

यह प्रतिरक्षात्मक व्यक्तियों में रोगजनक बन जाती है। वे मधुमेह रोगी जिनका कोविड-19 के लिए स्टेरॉयड की उच्च खुराक के साथ इलाज किया गया है, म्यूकर माइकोसिस ऊतकों को गुणा करने और प्रभावित करने के लिए एक उत्कृष्ट वातावरण पाता है। इस रोग से प्रभावित होने वाले मरीजों की पहले नाक और उसके बाद साइनस चपेट में आता है। समय रहते यदि बीमारी पर ध्यान नहीं दिया गया या उचित उपचार नहीं मिल पाया तो तीसरे नम्बर पर आंखे ओर उसके बाद मस्तिष्क में संक्रमण फैलता चला जाता है। इस स्थिति को राइनो सेरेब्रल म्यूकर माइकोसिस कहा जाता है। तब जाकर सफेद फंगस ब्लेक हो जाती है, क्योंकि इस स्थिति में टिश्यू प्रभावित होने लगते हैं और मेल्ट होने के कारण काले पड़ जाते हैं।

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ज्ञात रहे साधारण साइनासाइटिस में साइनस एक मलाईदार सफेद मवाद से भर जाता है। इसका उपचार करते समय मृत टिश्यू को हटाने, मधुमेह पर नियंत्रण करने एंटी फंगल एजेंट जैसे एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन देकर उपचार दिया जाता है। जिससे नए टिश्यू संक्रमित नहीं होते हैं और मृत टिश्यू का संक्रमण समाप्त होता चला जाता है।