Home देश इलेक्टोरल बांड की बिक्री पर आज फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट

इलेक्टोरल बांड की बिक्री पर आज फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट आगामी विधानसभा चुनावों के दौरान इलेक्टोरल बांड की बिक्री पर रोक लगाने वाली याचिका पर आज यानि 26 मार्च को फैसला सुनाएगा। पिछले 24 मार्च को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या चुनावी बांड का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए भी हो सकता है। चीफ जस्टिस एसए बोब्डे ने कहा था कि कोई चुनावी बांड खरीदता है और आतंकवादी गतिविधियों में भी इस्तेमाल कर सकता है। चीफ जस्टिस ने कहा था कि किसी राजनीतिक पार्टी के एजेंडे में हिंसा या आतंकवाद भी हो सकता है। उन्होने कहा था कि इसकी क्या गारंटी है कि अगर किसी राजनीतिक पार्टी को चंदे में सौ रुपये मिलते है तो वो इन पैसों का इस्तेमाल राजनीति के लिए ही करेगा।इस पर केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि आतंकवादी गतिविधियों को केवल काला धन के जरिये फंड किया जा सकता है जबकि ये व्हाईट मनी है। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि आप ये कहना चाहते हैं कि ये बिल्कुल भी काला धन नहीं है । तब अटार्नी जनरल ने कहा कि चुनावी बांड बनाने के लिए केवल चेक और डिमांड ड्राफ्ट का प्रयोग होता है।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि रिजर्व बैंक के गवर्नर ने अपने पत्र में कहा है कि इलेक्टोरल बांड में रिस्क है औऱ इससे देश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा था कि रिजर्व बैंक ने कहा है कि इलेक्टोरल बांड का इस्तेमाल फर्जी कंपनियों को धन देने के लिए भी किया जा सकता है। इससे रिजर्व बैंक की विश्वसनीयता भी प्रभावित होगी। प्रशांत भूषण ने कहा था कि ये रिश्वत देने का कानूनी जरिया बन गया है। बैंक को छोड़कर कोई ये नहीं जान पाएगा कि इलेक्टोरल बैंक में दानकर्ता कौन है। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि राजनीतिक दलों को रिश्वत कैसे हो सकता है। तब प्रशांत भूषण ने कहा था कि आमतौर पर सत्ताधारी दलों को रिश्वत दी जाती है। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि रिश्वत किसी भी दल को दी जा सकती है। तब प्रशांत भूषण ने कहा था कि सत्ताधारी दल ज्यादा मदद कर सकती है।

याचिका एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म(एडीआर) नामक एनजीओ ने दायर किया है। याचिका में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल , असम और तमिलनाडु में चुनाव के दौरान इलेक्टोरल बांड के जरिये राजनीतिक दलों को अवैध फंडिंग को बढ़ावा मिलने की आशंका है।

एडीआर की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट से कहा था कि सरकार ने इसका दुरुपयोग किया है। इससे काले धन को बढ़ावा मिल रहा है। याचिका में इलेक्टोरल बांड स्कीम 2018 पर रोक लगाने की मांग की गई है।

बता दें कि 2019 के आम चुनावों के पहले इलेक्टोरल बांड पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों को निर्देश दिया था कि वे इलेक्टोरल बांड के जरिये मिले चंदे की जानकारी निर्वाचन आयोग को दें।

Exit mobile version