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दिल्ली पुलिस कमिश्नर की नियुक्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट परीक्षण करने को तैयार

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट इस बात का परीक्षण करने के लिए तैयार हो गया है कि क्या दिल्ली पुलिस कमिश्नर की नियुक्ति भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्यों में डीजीपी की नियुक्तियों को लेकर दिए गए फैसले के दायरे में आएगी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया।

दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर के तौर पर राकेश अस्थाना की नियुक्ति के मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने चीफ जस्टिस से कहा कि राकेश अस्थाना भले ही रिटायर हो गए हैं लेकिन कानून का सवाल अभी बाकी है। इसपर सहमति जताते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि हम इस पर विचार करेंगे। दरअसल, प्रकाश सिंह के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य के डीजीपी की नियुक्ति के लिए कम से कम छह महीने का कार्यकाल बचा हो और वो नाम यूपीएससी के पैनल से नाम भेजे जाएं। उनकी ही नियुक्ति डीजीपी के तौर पर की जानी चाहिए।

इस मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिए जवाबी हलफनामा में कहा है कि राकेश अस्थाना की दिल्ली के पुलिस कमिश्नर के पद पर नियुक्ति विशेष परिस्थितियों में की गई। केंद्र सरकार ने कहा है कि दिल्ली देश की राजधानी है और यहां असाधारण चुनौतियां रहती हैं जिसकी वजह से ये फैसला लेना पड़ा। राकेश अस्थाना ने अपने हलफनामा में कहा है कि याचिकाकर्ता उनकी छवि को खराब करने का अभियान चल रहे हैं। इसी अभियान के तहत याचिकाकर्ता ने याचिका दाखिल की है। कोर्ट ने 26 नवंबर 2021 को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने 12 अक्टूबर 2021 को राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 25 अगस्त 2021 को प्रशांत भूषण की याचिका पर सुनवाई से मना किया था और दिल्ली हाई कोर्ट को निर्देश दिया था कि वे दो हफ्ते में उसका निपटारा करें। सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को हाई कोर्ट में अपनी बात रखने का निर्देश दिया था। उसके बाद प्रशांत भूषण ने दिल्ली हाई कोर्ट में दायर ऐसी ही एक याचिका में हस्तक्षेप याचिका दायर की थी।

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