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जम्मू-कश्मीर में चुनाव का रास्ता साफ, परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

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नई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने जम्मू-कश्मीर में परिसीमन और विधानसभा सीटों के बदलने की प्रक्रिया को सही ठहराया। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुआ कहा कि केन्द्र सरकार को अधिकार है कि वह परिसीमन आयोग का गठन कर सकती है। केंद्र ने अपने अधिकारों का सही प्रयोग किया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 1 दिसम्बर 2022 को यह फैसला सुरक्षित रख लिया था। दरअसल श्रीनगर के रहने वाले मोहम्मद अयूब मट्टू और हाजी अब्दुल गनी खान की याचिकाओं में कहा गया था कि परिसीमन में सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। जबकि केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर प्रशासन और चुनाव आयोग ने इस दलील को गलत बताया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर 13 मई 2022 को नोटिस जारी किया था, तब कोर्ट ने साफ किया था कि सुनवाई सिर्फ परिसीमन पर होगी, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने से जुड़े मसले पर विचार नहीं किया जाएगा। ये भी पढ़ें..CM शिवराज ने महान कवयित्री सरोजिनी नायडू की जयंती पर किया नमन, कही ये बात सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि याचिकाकर्ता ने कानून को चुनौती नहीं दी है। 1995 के बाद कोई परिसीमन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा था कि केंद्र की मंशा है कि नवगठित केंद्र शासित क्षेत्र में लोकतंत्र बहाल किया जाए। सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग ने कहा था कि आपत्ति दर्ज कराने के लिए पर्याप्त वक्त दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई, 2022 को जम्मू कश्मीर में परिसीमन प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने केंद्र, जम्मू कश्मीर सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने देरी से याचिका दाखिल करने पर नाराजगी जताई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 2020 के अधिसूचना को दो साल बाद आप ने चुनौती दी है अभी तक क्या, क्या आप सो रहे थे। याचिका हाजी अब्दुल गनी खान और डॉ मोहम्मद द्वारा दायर की गई थी। अयूब मट्टू. याचिका में जम्मू-कश्मीर में लोकसभा और विधानसभा सीटों के परिसीमन का विरोध किया गया था। याचिका में कहा गया था कि परिसीमन अधिनियम की धारा 3 के तहत बिना किसी अधिकार क्षेत्र और अधिकार के परिसीमन आयोग का गठन किया गया है. याचिका में कहा गया था कि केंद्र सरकार की ओर से परिसीमन आयोग का गठन करना चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में दखल देने के बराबर है। याचिका में कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर में सीटों की बढ़ोतरी संविधान में संशोधन करके ही की जा सकती है, क्योंकि संविधान के मुताबिक अगला परिसीमन 2026 में होना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि विधानसभा सीटों की संख्या में बढ़ोतरी की जा सकती है। जम्मू और कश्मीर में 107 से 114 तक जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की धारा 63 और संविधान के अनुच्छेद 81, 82, 170 और 330 का उल्लंघन है। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर की प्रस्तावित 114 सीटों में से 24 सीटें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की भी हैं। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड के विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों के परिसीमन के लिए न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में परिसीमन आयोग के गठन के लिए 6 मार्च 2020 को एक अधिसूचना जारी की। इस आयोग का कार्यकाल एक वर्ष के लिए था। बाद में 3 मार्च 2021 को एक अन्य अधिसूचना जारी कर परिसीमन आयोग की अवधि एक वर्ष के लिए और बढ़ा दी गई। कार्यकाल बढ़ाते समय परिसीमन आयोग का अधिकार क्षेत्र केवल जम्मू-कश्मीर के लिए रखा गया था। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)