कोरोना महामारी दौरान खुदकुशी सबसे बड़ी चिंता

पंचकूलाः आत्महत्या की प्रवृत्ति रोकने के लिए विश्व भर के लोगों को एकजुट किया जाए। जागरुकता के माध्यम से आशा की किरण जगाना थीम के तहत अधिक जिंदगियां बचाई जाएं। यह बात शुक्रवार को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में पारस अस्पताल के मानसिक रोगों के विभाग के कंस्लटेंट डॉ. कृति आनंद ने कही।

पारस अस्पताल के डॉक्टरों ने आत्महत्या रोकथाम के लिए राष्ट्रीय कौंसिल (एनसीएसपी) की मुहिम-जिंदगियां बचाने के लिए 5 काम करो की हिमायत करते हुए लोगों को अपील की है कि लोगों के जीवन की रक्षा के लिए 5 काम करने के लिए 5 मिनट निकालो। चेतावनी के संकेत जानें, यह जानो कि मदद कैसे की जाए, आत्म देखभाल का अभ्यास करें, पहुंच बनाओ तथा इसका प्रचार करो। डॉ. कृति आनंद ने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में आत्महत्याएं बड़ी चिंता का विषय बन गई है। क्योंकि यह मौतों का बड़ा कारण बन रही है। उन्होंने बताया कि हर वर्ष आत्महत्याओं के रूप में दुनिया भर में 8 लाख मौतें हो जाती हैं, जबकि भारत में करीब 1 लाख 35000 लोग खुदकुशी के कारण मौत के मुंह में चले जाते हैं। यह दुनिया भर की कुल मौतों का 18 प्रतिशत है।

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किसी व्यक्ति को सुसाइड का ख्याल आना इस बात का संकेत है कि वह मानसिक रोग से पीड़ित हैं तथा उसको तुरंत इसका इलाज करवाना चाहिए। सुसाइड क्यों होते हैं इस बारे समाज में चेतना पैदा करनी चाहिए। माहिर डॉक्टर ने बताया कि बहुत सारे लोगों का विश्वास है कि सुसाइड करने वाले लोग स्वार्थी होते हैं तथा सरल तरीका अपनाते हैं पर सच्चाई यह है कि ऐसे लोग मानसिक रोग से बहुत ज्यादा पीड़ित होते हैं तथा वह बेकार, निराश व असहाय महसूस करने लग जाते हैं।

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