ये है भारत का ऐसा मंदिर जहां का प्रसाद नहीं खा सकते भक्त, जानिए क्या है रहस्य

नई दिल्लीः मंदिर में भगवान की पूजा-अर्चना करने के बाद हम सभी लोग वहां से मिलने वाले प्रसाद को ईश्वर का आशीर्वाद समझकर ग्रहण करते हैं। या फिर हम घर में किसी पूजा का अनुष्ठान करते हैं तो आसपास के लोगों को भगवान पर चढ़ाया हुआ प्रसाद वितरित करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं भारत में एक ऐसा भी मंदिर है जहां कोई भी भक्त प्रसाद नहीं खा सकता।

भगवान राम के परम भक्त हनुमान के इस पूरे भारतवर्ष में अनेकों मंदिर हैं जहां भक्त अपने कष्टों के निवारण और पूजा अर्चना हेतु भगवान श्री हनुमान के पास जाते हैं। हनुमान जी को भक्तों द्वारा संकट मोचन, रामदूत, मारुति नंदन, महावीर, पवनसुत और कपीश आदि नामों द्वारा पुकारा जाता है।

ऐसे ही राजस्थान के दौसा की दो पहाड़ियों के बीच स्थित मेहंदीपुर बालाजी मंदिर भी भगवान हनुमान के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस प्रसिद्ध मंदिर में वर्ष भर भक्तों की कतार लगी रहती है। जिनमें से कई भक्त अपनी पीड़ा के निवारण हेतु आते हैं तो कुछ भक्त खुश होकर भगवान को धन्यवाद देने और उनके दर्शन पाने के लिए।

आपको बता दें कि इस मंदिर में संकट मोचन हनुमान अपने बाल स्वरूप में विराजमान हैं। जिनके ठीक समक्ष भगवान श्रीराम और माता सीता की मूर्तियां स्थापित हैं।

पुरानी मान्यता के अनुसार, मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में महावीर हनुमान जी के दर्शन मात्र से ही सभी बाधाओं से लोगों को मुक्ति मिल जाती है। और उन्हीं ऊपरी बाधाओं से छुटकारा पाने के लिए काफी संख्या में भक्त यहां आते हैं। इसके अलावा इस मंदिर में प्रेतराज सरकार और भैरव बाबा की प्रतिमा भी स्थापित है। प्रेतराज सरकार के दरबार में हर रोज 2:00 बजे पेशी (कीर्तन) किया जाता है। वहीं पर लोगों के ऊपर आई ऊपरी बाधाओं को दूर किया जाता है। कहते हैं कि एक बार इस मंदिर में जो भी आता है, वह हनुमानजी के दर्शन करने के बाद पूरी तरह से स्वस्थ्य होकर वापस आता है।

लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भक्तों के लिए इस मंदिर के नियम कायदे थोड़े विचित्र हैं। कहा जाता है कि यहां जो भी भक्त दर्शन के लिए आते हैं उन्हें दर्शन से कम से कम एक सप्ताह पूर्व से ही लहसुन, प्याज, मांसाहार और मदिरापान आदि का सेवन बंद कर देना चाहिए।

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यही नहीं राजस्थान के मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का एक और बड़ा विचित्र नियम यह है कि भक्त द्वारा यहां के प्रसाद को न तो खाया जा सकता है और न ही किसी और को दिया जा सकता है। इसके अलावा भक्त यहां की कोई भी खाने-पीने की चीज या प्रसाद को अथवा सुगंधित चीजों को घर भी नहीं ले जा सकते। लोगों का कहना है कि अगर कोई ऐसा करता है, तो उस पर ऊपरी साया आ जाता है।

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