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भ्रामक खबरों से रहें दूर, नहीं होगा मानसिक तनाव: डॉ. शाश्वत

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लखनऊः कोरोना वायरस की दूसरी लहर में संक्रमण की दर पहले की अपेक्षा कई गुना बढ़ गयी है और हर दिन रिकॉर्ड मामले भी सामने आ रहे हैं। वर्तमान समय में अधिकतर लोग कोरोना से पीड़ित न होकर मानसिक तौर पर बीमार बनते जा रहे हैं, जो काफी घातक है। मानसिक तनाव न सिर्फ बीमारी के खतरे को कई गुना बढ़ा देता है, बल्कि कभी-कभी यह प्राणघातक भी साबित हो सकता है। ऐसे में लोगों के मानसिक तनाव को दूर करने व इससे बचने के उपायों को इंडिया पब्लिक खबर के विशेष संवाददाता रघुनाथ कसौधन ने केजीएमयू के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. शाश्वत सक्सेना से विशेष बातचीत की। प्रस्तुत हैं उनसे बातचीत के अंशः

  • कोरोना लोगों को मानसिक तौर पर बीमार बना रहा है। लोग इससे कैसे बचें ?

वर्तमान समय में कोरोना जिस तेजी से बढ़ता जा रहा है, लोगों के लिए उससे भी ज्यादा खतरनाक नकारात्मक खबरें हैं। आप समाचार देखने का एक समय निर्धारित करें और उतने ही समय स्पेशलाइज्ड जैसे- दूरदर्शन आदि देखें। यदि आप दिन भर समाचार देखते हैं तो इसका मस्तिष्क पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा दिन भर में आप किन्हीं 5 पसंदीदा विषयों पर लिखें, जिसे आपका मन विचलित नही होगा। यही नही आप 3 ऐसे काम जरूर करें जो आपको काफी पसंद हैं जैसे- संगीत सुनना, किसी अपने से बात करना या फिर फिर कोई खेल।

  • एनजाइटी से बचने के लिए लोगों को क्या करना चाहिए ?

एनजाइटी से बचने के लिए सबसे जरूरी चीज जो है, वह है भरपूर नींद। वर्तमान में कम से कम से 7-8 घंटे की नींद लेना जरूरी है। इसके अलावा आप हर चीज में अविश्वास न करें, क्योंकि इससे मन में घबराहट होती है और लोग एनजाइटी का शिकार हो जाते हैं।

  • क्या तनाव या घबराहट बीमारी के खतरे को बढ़ा देता है ?

यदि कोई व्यक्ति हमेशा तनाव में रहता है या फिर उसे हमेशा घबराहट महसूस होती है तो इसका सीधा असर हमारे इम्यूनिटी सिस्टम पर पड़ता है। यदि आप घबरा नही रहे हैं तो दवा का भी असर ज्यादा होगा और आपका आॅक्सीजन लेवल भी ऊपर रहेगा।

  • किन लक्षणों को देखकर यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार है ?

घबराहट सबको होती है, उदासी सबको होती है, लेकिन खास बात यह है कि यह कितने दिनों तक रहती है। यदि कोई भी व्यक्ति हफ्ते भर से अधिक समय तक इन समस्याओं से पीड़ित है तो यह गंभीर है। यदि इससे आप सामाजिक तौर पर अलग हो रहे हैं या फिर परिवार के साथ रहकर भी आप खुश नही हैं तो यह सभी सामान्य लक्षण हैं। यदि ऐसे लक्षण किसी व्यक्ति में दिखते हैं तो तुरंत उसे मानसिक इलाज की जरूरत है।

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  • दूसरी लहर में बच्चे भी काफी तेजी से संक्रमित हो रहे हैं। उन्हें अवसाद से कैसे बचाएं ?

कोरोना की दूसरी लहर काफी खतरनाक है और इसकी संक्रमण दर भी काफी अधिक है। बच्चों को अवसाद से बचाने की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी माता-पिता की होती है। यदि अभिभावक खुद सकारात्मक रहेंगे तो इसका सीधा-सीधा असर बच्चों पर पड़ेगा। बच्चों को रचनात्मक कार्यों लगाए रखें जैसे- पेंटिंग बनाना, इनडोर गेम्स, कहानियां सुनना आदि।