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अखिलेश के अपने ही बढ़ा रहे टेंशन ! कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे में क्यों उलझ रही सपा

लखनऊ: समाजवादी पार्टी (SP) इन दिनों दोहरी मुसीबत से जूझ रही है। एक तरफ कांग्रेस के साथ सीटें साझा नहीं हो पाने से परेशानी बढ़ गई है। वहीं, उसके कई वरिष्ठ नेताओं के बगावती सुर सामने आने से उलझन बढ़ गई है। फिलहाल समाजवादी पार्टी अंदरूनी विवादों और समस्याओं से निपटने में बीजेपी से ज्यादा समय खर्च कर रही है।

अपने ही नेता कर रहे बगावत

कुछ दिन पहले ही स्वामी प्रसाद मौर्य ने महासचिव पद से इस्तीफा दिया था और पार्टी पर कई आरोप लगाए थे। इस बीच पल्लवी पटेल ने उन पर मुसलमानों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया और राज्यसभा के लिए वोट न करने का ऐलान किया। अल्पसंख्यक समुदाय को हमेशा साथ लेकर चलने वाली समाजवादी पार्टी दोनों नेताओं के बयानों का खंडन नहीं कर पा रही है और उन्हें पार्टी से बाहर करने पर वोट बैंक का डर सता रहा है।

वहीं कांग्रेस ने राज्य की 80 सीटों को वरीयता के आधार पर तीन श्रेणियों में बांटा है। पहली प्राथमिकता उन सीटों को दी गई है, जिन पर 2009 और 2014 में कांग्रेस विजेता रही थी। इसके अलावा, वह उन सीटों को भी अपनी प्राथमिकता में शामिल कर रही है, जिन्होंने पिछले साल नगर निगम चुनावों में बेहतर प्रदर्शन किया था। इस तरह पहली प्राथमिकता वाली 30 सीटों पर दावा किया गया।

सीटों के बंटवारे में बढ़ रही तनातनी

समाजवादी पार्टी की सीटें तय करने के लिए बनी कमेटी से भी दो दौर की बातचीत हो चुकी है। सबसे पहले कांग्रेस और सपा ने हर सीट पर दो-दो उम्मीदवार उतारे। विश्वस्त सूत्र बता रहे हैं कि सपा कांग्रेस को करीब 20 सीटें देने पर राजी है, लेकिन उसकी पहली प्राथमिकता वाली सीटों की संख्या पांच से सात ही है। जिन सीटों पर कांग्रेस का न तो जनाधार है और न ही सांगठनिक तैयारी, उन्हें दूसरी सीटें देने की पहल की गई है। ऐसे में कांग्रेस ने इन सीटों को लेने से इनकार कर दिया है।

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सूत्रों का कहना है कि सपा ने कांग्रेस को रायबरेली, अमेठी, सुल्तानपुर, कानपुर, बरेली, जालौन, गाजियाबाद, बांसगांव, सीतापुर आदि सीटें देने की पहल की है। कांग्रेस ये सीटें लेने को तैयार नहीं है। कांग्रेस पदाधिकारियों की पहली प्राथमिकता फर्रुखाबाद, लखीमपुर खीरी आदि सीटें हैं। समाजवादी पार्टी ने इन सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। इसी तरह सहारनपुर सीट भी सपा को नहीं देना चाहती, जबकि कांग्रेस इस सीट को छोड़ने को तैयार नहीं है। ऐसे में दोनों पार्टियों के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है।

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