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कम तापमान में और अधिक खतरनाक हो जाता है स्मॉग, जानें इससे जुड़ी समस्याएं

smog

कानपुरः मौसम के बदलाव से तापमान लगातार कम हो रहा है और गुलाबी सर्दी ने भी दस्तक दे दी है। इसी बीच आसमान में फॉग और स्मॉग का प्रकोप भी बढ़ रहा है। फॉग जहां हमेशा नीचे रहता है तो वहीं स्मॉग हवा में तैरता रहता है और जहरीले कण सदैव ट्रांसफर होते रहते हैं। सर्दी ज्यों-ज्यों बढ़ेगी त्यों-त्यों स्मॉग खतरनाक स्थिति में पहुंचता चला जाएगा। चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डा. एसएन सनील पाण्डेय ने बताया कि स्मॉग कम तापमान में और अधिक खतरनाक हो जाता है। वहीं सर्दियों में कम तापमान होना एक सामान्य बात है। इस जानलेवा स्मॉग से आंखों में जलन, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, फेफड़ों में रुकावट और भी कई सांस संबंधी बीमारियां हो सकती है। फॉग से अलग स्मॉग से बदबू आती है जिससे आप इन दोनों के बीच के अंतर को समझ सकते हैं।

फॉग सफेद तो स्मॉग का होता है ग्रे रंग
जहां फॉग सफेद रंग का होता है तो वहीं वैसी ही हवा जिसका रंग ग्रे होता है उसे वैज्ञानिकों ने स्मॉग का नाम दिया है क्योंकि यह फॉग नहीं है। फॉग जहां हमेशा नीचे की ओर जाता है वहीं स्मॉग हवा में तैरता रहता है और जहरीले कण को ट्रांसफर करता रहता है जिसे हम सांस के जरिए अंदर लेते रहते हैं। इसलिए हवा में मौजूद धुंध सिर्फ रेगुलर सर्दी की धुंध नहीं है जिसकी वजह से आपको सर्दी-खांसी और सांस से जुड़ी दूसरी बीमारियां हो रही हैं, बल्कि यह हवा में मौजूद जानलेवा स्मॉग है जो हमें बीमार बना रहा है।

स्मॉग में जहरीली गैस की मौजूदगी
स्मॉग, फॉग और स्मोक यानी कोहरे और धुएं का कॉम्बिनेशन होता है। इसमें खतरनाक और जानलेवा गैसें जैसे सल्फर डाईऑक्साइड, बेन्जीन भारी मात्रा में पाई जाती हैं जोकि स्मोक बनाती है फिर फॉग से रिऐक्शन करके केमिकल कंपाउंड बनाती हैं जिससे स्मॉग बनता है। इस तरह के स्मॉग बनाने वाले ज्यादातर कम्पाउंड फैक्ट्रियों से निकले वाला धुआं, फसलों और पराली को जलाने से और ऐसे कई पावर प्लांट से आते हैं जहां ये खतरनाक गैसें नियमित रूप से इस्तेमाल होती हैं और रिलीज की जाती हैं।

स्मॉग बनाम फॉग
साधारण शब्दों में कहें तो स्मोक यानी जानलेवा धुआं, स्मॉग को फॉग यानी कोहरे से अलग बनाता है। जहां फॉग लोगों में सांस संबंधी साधारण समस्याएं पैदा करता है वहीं स्मॉग काफी खतरनाक है। यह फेफड़े में कैंसर से जुड़े जहरीले तत्वों को डालता है जो कि ऐसे तत्व हैं जो अगर आपकी बॉडी में एक बार चले गए तो उनका बाहर निकलना बहुत मुश्किल है।

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फॉग से विजिबिलिटी कम
फॉग यानी कोहरा तब बनता है जब हवा में मौजूद जल वाष्प ठंडी होकर हवा में जम जाते हैं और पानी की बूंदे हवा में तैरती हैं। यह एक सफेद चादर की तरह पूरी हवा को ढक देती है जिसे सामान्य भाषा में फॉग या कोहरा कहते हैं। फॉग की वजह से विजिबिलिटी यानी देखने की क्षमता भी बेहद कम हो जाती है।

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