नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से बिजली वितरण कंपनियों को दी गई बिजली सब्सिडी में अनियमितताओं और विसंगतियों की जांच के आदेश के बाद दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव बढ़ गया है।
मंगलवार दोपहर में उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव नरेश कुमार को इस सम्बंध में प्राप्त शिकायत की जांच कर सात दिन में रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है। इसके बाद शाम होते ही दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उपराज्यपाल को पत्र भेजकर उन्हें संविधान प्रदत्त अधिकारों के तहत ही कार्य करने का आग्रह किया है।
सिसोदिया ने पत्र में लिखा है कि जिस तरह दिल्ली की चुनी हुई सरकार को बायपास करके रोज कामकाज पर नई-नई नहीं जांच बिठाते हैं, यह सभी जांच गैरकानूनी और गैर संवैधानिक है। सिसोदिया ने उन्हें संविधान प्रदत उपराज्यपाल को अधिकारों की याद दिलाते हुए लिखा है कि “सम्विधान में दिए गए आपके अधिकारों को पुनः रेखांकित करना चाहता हूं दिल्ली में जमीन, पुलिस, पब्लिक ऑर्डर और सर्विस के अलावा बाकी सभी मामलों में निर्णय लेने का अधिकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार को दिया गया है। इन चारों को छोड़कर बाकी सभी मामलों में काम करने, रोकने, चर्चा करने का अधिकार सम्विधान के अनुसार दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास है। अतः मुख्य सचिव को दिए गए यह आदेश वापस लिए जाएं।
उपराज्यपाल से आग्रह किया है कि भविष्य में वह सम्विधान के अनुरूप कार्य करें। यह आदेश सिर्फ राजनीति से प्रेरित है। यह इसी बात से साबित होता है कि आपके द्वारा अभी तक जितने भी जांच के आदेश दिए गए हैं किसी में कुछ नहीं निकला। तथाकथित शराब घोटाला, स्कूल घोटाला, बस खरीद घोटाला और ना जाने क्या-क्या ? इस किस्म की फर्जी जांचों से किसी का भला नहीं होता। सभी विभागों का समय बर्बाद होता है और सभी अधिकारियों का मनोबल टूटता है।
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