शिमला: हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार में लंबे इंतजार के बाद रविवार को मंत्रिमंडल विस्तार हुआ है। 07 विधायकों को मंत्री बनाया गया है। कांग्रेस हाईकमान ने मंत्रिमंडल के जरिये लोकसभा चुनाव के लिए सियासी जमीन तैयार करने के साथ क्षेत्रीय व जातीय संतुलन को साधने का प्रयास किया है।
चौंकाने वाला पहलू यह है कि मंत्रिमंडल विस्तार में शिमला जिला को खासी तवज्जो मिली है, जबकि सबसे बड़ा सियासी जिला कांगड़ा मंत्रिमंडल विस्तार में पिछड़ा रहा। 07 विधानसभा सीटों वाले शिमला को 03 मंत्री मिले हैं, वहीं सर्वाधिक 15 सीटों वाले कांगड़ा जिला के खाते में एक ही मंत्री पद गया है। इसी तरह हमीरपुर संसदीय क्षेत्र को भी मंत्रिमंडल विस्तार में कोई तरजीह नहीं मिली है। हालांकि सुक्खू मंत्रिमंडल में अभी 03 पद नहीं भरे गए हैं। माना जा रहा है कि आगामी मंत्रिमंडल विस्तार में कांगड़ा जिला के साथ हमीरपुर संसदीय क्षेत्रों को अधिमान मिलेगा।
हाईकमान ने मजबूत किये सुक्खू के हाथ –
सत्ता की कमान सुक्खू को सौंपने के साथ पार्टी नेतृत्व ने मंत्री चयन से मुख्यमंत्री को मजबूत किया है। सुक्खू के खासमखास सिपहसालारों को मंत्रिमंडल में जगह मिली है। इनमें शिलाई से हर्षवर्धन चौहान और कसुम्पटी से अनिरुद्ध सिंह शामिल हैं। चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस विधायक दल के नेता के चयन में हर्षवर्धन और अन्निरुद्ध दोनों सुक्खू के साथ पूरी ताकत के साथ खड़े रहे। सुक्खू के पसंदीदा इन दोनों विधायकों को पहली बार मंत्रिपद नसीब हुआ है। अप्पर शिमला के जुब्बल कोटखाई के विधायक रोहित ठाकुर भी सुक्खू से करीबी होने की वजह से मंत्री पद झटकने में कामयाब रहे। जनजातीय जिला किन्नौर से मंत्री बने जगत सिंह नेगी यूं तो पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के समर्थक रहे हैं, लेकिन वर्तमान सियासी घटनाक्रम में वह सुक्खू के करीबियों में शुमार हैं। वरिष्ठता के लिहाज से कर्नल धनीराम शांडिल और चन्द्र कुमार का मंत्री बनना पहले से ही तय था। धनीराम शांडिल जहां केंद्रीय हाईकमान के काफी करीब हैं, वहीं चन्द्र कुमार सबसे बड़े सियासी जिले कांगड़ा से ओबीसी का प्रमुख चेहरा हैं। होलोलोज खेमा विक्रमादित्य सिंह को भी मंत्री बनाने में कामयाब रहा है। हाईकमान ने मंत्री चयन में प्रतिभा सिंह के होलोलोज कैम्प का भी ध्यान रखा है। हाईकमान द्वारा विक्रमादित्य सिंह को मंत्रिपद देकर सुक्खू और प्रतिभा ख़ेमों में सामंजस्य बिठाया गया है।
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लोकसभा चुनाव साधने की कोशिश –
मंत्रिमंडल का चेहरा व आकार सभी धड़ों को संतुलित करने और आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया गया है। राज्य में बड़ी आबादी राजपूतों की है। इसे देखते हुए सुक्खू मंत्रिमंडल के 07 सदस्यों में 05 राजपूत नेता शामिल किए गए हैं। इसके अलावा आरक्षित वर्गों अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग से एक-एक चेहरा मिला है। राजपूत मंत्रियों में विक्रमादित्य सिंह, अनिरुद्ध सिंह, रोहित ठाकुर, जगत सिंह नेगी और हर्षवर्धन चौहान शामिल हैं। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू को मिलाकर यह आंकड़ा छह बनता है। जगत सिंह नेगी राजपूत बिरादरी के साथ जनजातीय जिला किन्नौर का प्रतिनिधित्व करते हैं। धनीराम शांडिल और चन्द्र कुमार आरक्षित वर्गों से हैं। इस पहले मंत्रिमंडल विस्तार में बेशक ब्राह्मण समुदाय का कोई भी नेता शामिल नहीं है, लेकिन ब्राह्मण का बड़ा चेहरा मुकेश अग्निहोत्री राज्य के पहले उप मुख्यमंत्री बने हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार में वरिष्ठता व अनुभव के साथ युवा जोश को भी तवज़्ज़ो दी गई है। 82 साल के धनीराम शांडिल और 78 साल के चन्द्र कुमार के साथ युवा मंत्रियों में 33 वर्षीय विक्रमादित्य सिंह और 45 वर्षीय अनिरुद्ध सिंह शामिल हैं। धनीराम शांडिल और चन्द्र कुमार पिछली कांग्रेस सरकारों में मंत्री रह चुके हैं और उनका अनुभव मंत्रिमंडल को सशक्त करेगा। छह बार के विधायक हर्षवर्धन चौहान और पांच बार के विधायक जगत सिंह नेगी अनुभवी विधायकों की फेहरलिस्ट में हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार में छाया शिमला संसदीय क्षेत्र –
18 में से 13 सीटें जितने वाले शिमला संसदीय क्षेत्र को 05 मंत्रियों की सौगात मिली है। इस संसदीय क्षेत्र में आने वाले शिमला जिला से 03, सोलन व सिरमौर जिलों से एक-एक मंत्री बना है। मंडी संसदीय क्षेत्र के जनजातीय जिला किन्नौर को मंत्री पद मिला है। कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से एक मंत्री बना है जबकि हमीरपुर संसदीय क्षेत्र को तरजीह नहीं मिली है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो अगले मंत्रिमंडल विस्तार में कांगड़ा और हमीरपुर संसदीय क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व मिल सकता है। वैसे मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं। मंत्रिमंडल विस्तार में शिमला, सोलन, सिरमौर, कांगड़ा और किन्नौर जिलों को तरजीह मिली है। हालांकि मुख्यमंत्री सुक्खू ने कैबिनेट विस्तार से पहले कांगड़ा जिला व सोलन जिला से दो-दो, कुल्लू जिला और शिमला जिला से एक-एक मुख्य संसदीय सचिव बनाया है।
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