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Sharadiya Navratri 2021: 200 वर्षों से आस्था का केंद्र है मां काली का यह मंदिर, मांगी गई हर मुराद होती है पूरी

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अनूपपुरः आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में नवरात्रि की शुरुआती हो गई है और आज यानि 9 अक्टूबर को तीसरा नवरात्रि है। आदिशक्ति के विभिन्न स्वरूपों में कालरात्रि के रूप में मां काली शामिल है। कोतमा नगर से लगे ग्राम पंचायत गोहन्द्रा में स्थित तालाब के किनारे मां काली मंदिर पिछले 200 वर्षो से जिले का अस्था का केन्द्र बना हुआ है, जहां नवरात्रि के दौरान दूर-दराज से लोग अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने इस मंदिर की चौखट पर अपना सिर टिकाते हैं। यहीं नहीं नवरात्रि के समय इस मंदिर में दूर-दूर से लोग दर्शन करने तथा कथा एवं मुंडन संस्कार कराने के भी लिए पहुंचते हैं।

हर मनोकामना होती है पूर्ण

मान्यता है कि मां काली के मंदिर में मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है। जिसके कारण ग्रामीण अचंलों के लोग मां के दर्शन करने पहुंचते हैं। मंदिर में पूजा अर्चना का कार्य देख रही महिला पुजारी देवमती बताती है कि मां की प्रतिमा मंदिर के पीछे बनी तालाब से प्रकट हुई थी। जिसे ग्रामीणों द्वारा स्थापित कर बाद में मंदिर बना दिया। महिला पुजारी का कहना है कि प्रतिमा कम से कम 300 साल पुरानी होगी। मां काली की प्रतिमा का सेवक के रूप में उनके परिवार के सदस्य ही रहे हैं। अब तक उनकी चार पीढिय़ा मंदिर में स्थापित मां की सेवा कर चुकी है।

जलहरी से स्वयं हुई थी प्रकट

पुजारी देवमति बताती है कि प्रतिमा को देखने से नहीं लगता कि यह 300 साल पुरानी होगी। लेकिन आज भी मां की प्रतिमा भव्य स्वरूप में विराजमान है। इस मंदिर में स्थापित मां काली की प्रतिमा पास ही स्थित तालाब से लगे जलहरी से स्वयं ही प्रकट हुई थी। जिसे देखने के बाद ग्रामीणों ने तालाब के पास से रखकर उसकी पूजा-अर्चना व प्राण प्रतिष्ठा की थी। कई साल बीत जाने के बाद खुले आसमान के नीचे स्थापित प्रतिमा को श्रद्धालुओं के सहयोग से मंदिर का निर्माण कराया गया। यहां लगभग 200 साल से लोग इसे आस्था का केन्द्र मानते हुए नियमित पूजा पाठ के लिए पहुंचते हैं।

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