बेरोजगारों के लिए खुशियां लेकर आया सितंबर, बढ़ा 8.5 मिलियन रोजगार, ग्रामीणों को मिला सबसे ज्यादा…

Maharashtra, Oct 02 (ANI): Students of ASM Institute of Management and Computer Studies show thumbs up after making 150 UV Ultraviolet sterilization boxes on the 152nd birth anniversary of Mahatma Gandhi, at Wagle Estate, in Thane on Saturday. (ANI Photo)

पटनाः रोजगार के मोर्चे पर देश के लिए सितंबर माह खुशखबरी लेकर आया है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की हालिया जारी रिपोर्ट के मुताबिक वेतनभोगी नौकरियों की श्रेणी में सितंबर माह में 8.5 मिलियन रोजगार की वृद्धि हुई, जिससे बेरोजगारी दर घटकर 6.9 प्रतिशत पर आ गई है, जो अगस्त माह में 8.3 प्रतिशत थी। सितंबर में रोजगार में वृद्धि का सबसे अच्छा हिस्सा वेतनभोगी नौकरियों में वृद्धि थी। विश्लेषण में कहा गया है कि इनमें 6.9 मिलियन की वृद्धि हुई है।

सीएमआईई के एमडी और सीईओ महेश व्यास ने कहा कि वेतनभोगी नौकरियों में रोजगार सितंबर में बढ़कर 84.1 मिलियन हो गया, जो अगस्त में 77.1 मिलियन था।”सभी प्रमुख व्यवसाय समूहों में, वेतनभोगी नौकरियों में सबसे बड़ी वृद्धि देखी गई। सितंबर में यह बड़ी छलांग है। हालांकि, यह अभी भी वित्तीय वर्ष 2019-20 के 86.7 मिलियन से नीचे है।”दिहाड़ी मजदूरों और छोटे व्यापारियों के बीच रोजगार भी अगस्त में 128.4 मिलियन से बढ़कर सितंबर में 134 मिलियन हो गया है। इसके साथ दैनिक वेतन भोगी मजदूरों या छोटे व्यापारियों के रूप में रोजगार 130.5 मिलियन के पूर्व-महामारी के स्तर को पार कर गया है।

सीएमआईई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) महेश व्यास ने कहा कि ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देने के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को पुनर्जीवित करने की सख्त जरूरत है। कृषि क्षेत्र में नौकरियों की संख्या अगस्त माह में 116 मिलियन थी जो सितंबर में गिरकर 113.6 मिलियन पर आ गई है। हालांकि, उन्होंने कहा कि इसकी बड़ी वजह शहरी उद्योगों में काम बढ़ना भी हो सकता है, जिसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्र में यह गिरावट दर्ज की गई है।

महेश व्यास ने कहा कि अगस्त से सितंबर 2021 माह के दौरान निर्माण उद्योगों में रोजगार में 2.9 मिलियन की वृद्धि हुई। इसमें से अधिकांश (लगभग 2.5 मिलियन) खाद्य उद्योगों में थी। आईटी उद्योग में रोजगार वित्तीय वर्ष 2017-18 में 3.3 मिलियन थी जो 2018-19 में घटकर 2.3 मिलियन और फिर 2019-20 में 1.8 मिलियन पर आ गई । हालांकि, मई-जून 2021 में इस क्षेत्र में रोजगार दो मिलियन तक बढ़ गया था, लेकिन सितंबर तक फिर से घटकर लगभग 1.8 मिलियन रह गया। शैक्षिक क्षेत्र के धीरे-धीरे खुलने की रिपोर्टों ने भी इस क्षेत्र में रोजगार पर अधिक प्रभाव नहीं दिखाया है। शिक्षा के क्षेत्र में सितंबर 2021 माह तक 10 मिलियन का महत्वपूर्ण रोजगार है, लेकिन यह अभी भी वित्तीय वर्ष 2019-20 के करीब 15 मिलियन से बहुत कम है। व्यास ने कहा कि इस क्षेत्र के खुलने के बाद शिक्षा क्षेत्र में रोजगार में सबसे बड़ी वृद्धि हो सकती है।

सेंटर फॉर मॉनीटरिंग ऑफ इंडियन इकोऩॉमी की रिपोर्ट में कहां खड़ा है बिहार

सेंटर फॉर मॉनीटरिंग ऑफ इंडियन इकोऩॉमी के जारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार में अगस्त के मुकाबले सितंबर माह में 3.6 प्रतिशत बेरोजगारी घटी है। रिपोर्ट में यह उम्मीद जतायी गयी है कि बरसात खत्म होते ही सरकारी और निर्माण परियोजनाओं में काफी तेजी आएगी। इसके कारण सहायक आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी। जो कुल मिलाकर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देगी। इससे लोगों को पर्याप्त काम मिलने लगेगा। इससे बेरोजगारी दर और घटने की उम्मीद है।

जानकारों की राय में गांव में खेती के मौसम की गतिविधियां बढ़ी हुई हैं। इसके अलावा बेरोजगारी के आंकड़ों में इजाफा करने वाले कोरोना काल में लौटे प्रवासी मजदूर भी लगभग लौट चुके हैं। दूसरी ओर, शहरों में छोटे-छोटे स्वरोजगार या धंधे बड़ी तादाद में बंद हुए हैं। इनमें लगे लोग अभी बेरोजगार बैठे हुए हैं। आर्थिक गतिविधियां भी पूरी तरह से परवान नहीं चढ़ी हैं। इस कारण अब भी काम पाने में निराश लोगों की संख्या काफी है।

राष्ट्रीय औसत से अब भी डेढ़ गुनी है बिहार में बेरोजगारी

आंकड़ों के अनुसार अगस्त में राज्य में 13.6 प्रतिशत बेरोजगारी दर थी, जो सितंबर के अंत में घटकर 10 प्रतिशत हो गई। हालांकि, यह भी राष्ट्रीय औसत 6.9 प्रतिशत से ज्यादा है। बेरोजगारी के ताजा आंकड़ों में सुकून देने वाला सच यह भी है कि पड़ोसी झारखंड में बिहार की तुलना में बेरोजगारी दर काफी ज्यादा है। झारखंड में सितंबर बाद भी बेरोजगारी की दर 13.50 प्रतिशत बनी हुई है। इसका मतलब है कि काम मांगने वाले 100 में से 13.5 लोगों को काम नहीं मिल रहा है।

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गांवों में कम, शहरों में ज्यादा बेरोजगारी

सीएमआईई के ताजा आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश के गांवों में बेरोजगारी कम है, जबकि शहरों में ज्यादा है। ग्रामीण बेरोजगारी घटकर नौ प्रतिशत के स्तर तक पहुंच गई है, जबकि शहरी बेरोजगारी अभी भी 16.9 प्रतिशत बनी हुई है। हालांकि, दोनों ही अभी राष्ट्रीय औसत से ज्यादा हैं। दोनों ही जगहों पर रोजगार के मोर्च पर अभी भी बढ़त बनाने की जरूरत है।

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