नई दिल्ली: देशभर में हाथियों की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने हाथियों की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार को चार हफ्ते में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। वन व पर्यावरण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट ने कहाकि देशभर में गज संरक्षण के दायरे को 77705.42 किलोमीटर तक बढ़ाया गया है। साथ ही मंत्रालय ने कहा कि यूपी में जहां हाथियों की आवाजाही ज्यादा है, उन तराई के इलाकों को गज संरक्षण क्षेत्र के रूप में आरक्षित किया गया है। बताया गया कि देशभर के 88 हाथी काॅरिडोर के 52 फीसदी क्षेत्र को मान्यता दी गई है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में हाथियों की सुरक्षा को लेकर याचिका प्रेरणा सिंह बिंद्रा ने दायर की है। उन्होंने कहा कि हाथियों की अप्राकृतिक मौत हो रही है। इनमें बिजली के करंट से ज्यादातर मौते हो रही हैं। इसके साथ ही याचिका में वन और पर्यावरण मंत्रालय के एक रिपोर्ट का भी जिक्र किया गया है, जिसके अनुसार 2016-17 में बिजली के करंट से 56 हाथियों ने जान गंवाई, जबकि 2018-19 में यह संख्या बढ़कर 81 हो गई।
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याचिका में यह भी कहा गया कि बिजली के करंट से हाथियों के मरने की समस्या को वन व पर्यावरण ने भी गंभीर माना है। एक आरटीआई आवेदन के जवाब के अनुसार, 2009 से 2020 तक 741 हाथियों ने बिजली के करंट से अपनी जान गंवाई है। याचिकाकर्ता ने 2010 के गजा रिपोर्ट के अनुशंसाओं के अनुपालन की मांग की है। वहीं, इसके अलावा 18 जुलाई 2019 को हुई नेशनल बोर्ड फाॅर वाइल्ड लाइफ के स्टैंडिग कमेटी की 54वें बैठक में टास्क फोर्स की अनुशंसाओं को भी लागू करने की मांग की है। याचिका में मांग की गई है कि वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, नेशनल पार्कों, कम्युनिटी रिजर्व , एलिफैंट रिजर्व इत्यादि में हाई वोल्टेज पावर ट्रांसमिशन के तारों को तत्काल रूप से हटाने का आदेश दिया जाए। इसके लिए केंद्र और सभी राज्य सरकारों को दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।
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