Home उत्तर प्रदेश Pitru Paksha 2023: सर्व पितृ अमावस्या पर तर्पण के साथ पितरों को...

Pitru Paksha 2023: सर्व पितृ अमावस्या पर तर्पण के साथ पितरों को दी गई विदाई, घाटों पर उमड़ी भीड़

Pitru-Paksha-2023

Sarva Pitru Amavasya 2023- वाराणसीः पितृ पक्ष के अंतिम दिन शनिवार को अश्वनी अमावस्या (पितृ विसर्जन) पर लोगों ने पूरी श्रद्धा के साथ अपने पूर्वजों का श्राद्ध पिंडदान किया। लोगों ने अपने पितरों को विदाई दी और उनसे अपने परिवार में सुख-शांति के लिए आशीर्वाद मांगा। पितरों को विदाई देने से पहले उन्होंने उनसे पिछले 14 दिनों के दौरान पूजा-पाठ आदि में हुई गलतियों और किसी पूर्वज को श्रद्धांजलि देने में हुई गलती के लिए माफी भी मांगी।

घाटों पर पिंडदान करने वालों की उमड़ी भीड़

सुबह से ही बनारस के सभी घाटों पर पिंडदान करने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी। दशाश्वमेध घाट, मीरघाट, सिंधिया घाट, अस्सी घाट, शिवाला घाट, राजाघाट, पंचगंगा पर लोगों की सबसे ज्यादा भीड़ रही। पिशाचमोचन स्थित तालाब पर भी पिंडदान के लिए लोगों की भीड़ जुटी रही। लोगों ने श्रद्धापूर्वक मुंडन कराकर गंगा स्नान कर तर्पण और पिंडदान किया। जिनके परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु हो गई थी। ऐसे रिश्तेदारों और पूर्वजों के निमित्त उन्होंने पिशाच मुक्ति के अवसर पर पिंडदान, तेल और घोड़ा दान किया।

ये भी पढ़ें..Panchang 14 October 2023: शनिवार 14 अक्टूबर 2023 का पंचांग, जानें विशेष पर्व एवं राहुकाल

पितृ अमावस्या पर ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों का किया पिंडदान

यह क्रम सुबह से ही जारी रहा। पितृ अमावस्या पर लोगों ने अपने ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों का पिंडदान और श्राद्ध किया। पिंडदान के दौरान लोगों ने अपने कुल-गोत्र का उल्लेख किया। फिर हाथ में गंगा जल लेकर संकल्प लिया और पूर्व दिशा की ओर मुख करके श्राद्ध कर्म में कुश, चावल, जौ, तुलसी के पत्ते और सफेद फूल शामिल किए। इसके बाद जल तर्पण में तीन अंगुल तिल मिश्रित जल अर्पित किया गया।

अमावस्या के दिन घर के मुख्य द्वार पर जलाएं दीपक

इस दौरान उन्होंने तर्पण आदि में हुई गलती और किसी पूर्वज को श्रद्धांजलि देने में हुई गलती के लिए माफी भी मांगी। सुखी, सफल जीवन के लिए अपने पूर्वजों से आशीर्वाद लें। पिंडदान के बाद गाय, कुत्ते और कौओं को पितरों के पसंदीदा व्यंजन खिलाए गए। अपने पितरों को पिंडदान करने के बाद लोग घर पहुंचे। घर में बने तरह-तरह के पकवान निकालकर पितरों को अर्पित करके ब्राह्मणों को खिलाकर स्वयं प्रसाद ग्रहण किया। अमावस्या के दिन लोग शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाएंगे और पितरों के लिए बांस की डिब्बी में अनाज की छोटी-छोटी पोटलियां बांधेंगे और उनसे अपने लोक में वापस लौटने का अनुरोध करेंगे।

ये है सनातन धर्म की मान्यता

गौरतलब है कि सनातन धर्म में मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान पूर्वज अपने वंशजों के घर के आसपास पंद्रह दिनों तक मौजूद रहते हैं। सेवा भाव से अपने प्रियजनों के साथ श्राद्ध कर्म करने के बाद वे अमावस्या तिथि को अपने लोक में लौट आते हैं। ऐसा माना जाता है कि पितरों का श्राद्ध कर्म न करने से सात जन्मों का पुण्य नष्ट हो जाता है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)

Exit mobile version