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बाल्टिक देशों को सता रहा है रूसी हमले का डर, नाटो पर है भरोसा

वाशिंगटन: रूस के पड़ोसी बाल्टिक देश लिथुआनिया, एस्टोनिया और लातीविया को रूसी हमले का डर सता रहा है। इन देशों को अपनी सुरक्षा के लिए नाटो का भरोसा है। इन देशों ने रूस पर अपनी सीमाओं के विस्तार के लिए ओछे हथकंडे अपनाने का आरोप लगाया है।

बुधवार को वाशिंगटन में लिथुआनिया के राजदूत ऑड्रा प्लेपयते, एस्टोनिया के राजदूत क्रिस्टिनप्रिक और लातीविया के राजदूत मैरिस सीलेगा ने एक स्वर में आशंका जताई है कि उनके देशों पर रूस के हमले के खतरे को नकारा नहीं जा सकता है। इसके साथ ही उन्होंने नाटो पर भरोसा जताते हुए कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि नाटो उनकी सुरक्षा करेगा। उन्होंने कहा कि रूस साम्राज्यवादी देश है और वह अपनी सीमाओं के विस्तार के लिए ओछे हथकंडे अपना रहा है।

यह बाल्टिक देश कभी सोवियत संघ के प्रभुत्व में थे। सोवियत संघ के विघटन के बाद तीनों सार्वभौमिक संप्रभु देश बने और सन 2004 में इन तीनों देशों ने नाटो की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। अब इनके बीच मधुर सम्बंध है। इन देशों के राजदूतों ने एक मीडिया हाउस से अलग अलग बातचीत में दावा किया कि नाटो के आर्टिकल पांच के तहत यह उल्लिखित है कि एक सदस्य पर किसी बाहरी शक्ति का हमला होता है तो उसे सम्पूर्ण नाटो देशों पर हमला माना जाएगा। इस एक बात को लेकर बाल्टिक देश और जनता सुरक्षित महसूस कर रही है।

लिथुआनिया के राजदूत ऑड्रा प्लेपयते, एस्टोनिया के राजदूत क्रिस्टिनप्रिक और लातीविया केराजदूत मैरिस सीलेगा ने ज़ोर देकर कहा कि यूक्रेन को रूस से लड़ने के लिए अतिरिक्त सैन्य सहायता की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि रूस एक आक्रांता है और वह जबरन सैन्य शक्ति का इस्तेमाल कर अपने साम्राज्य का विस्तार करना चाहता है।

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