ऋषिकेश एम्स में शुरू हुई इन गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए रोबोटिक सर्जरी

ऋषिकेश: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से मूत्राशय, प्रजनन अंगों और किडनी के कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए अच्छी खबर है। संस्थान के यूरोलाॅजी विभाग में इस बीमारी के निदान के लिए रोबोटिक सर्जरी की सुविधा के साथ ही उच्चस्तरीय तकनीक आधारित उपचार उपलब्ध है। विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार इस तकनीक से की जाने वाली सर्जरी के दौरान जहां जोखिम का खतरा निहायत कम हो जाता है, साथ ही रोगी को अस्पताल से जल्दी छुट्टी दे दी जाती है।

यूरोलॉजी विभाग में मूत्र संबंधी रोगों, मूत्राशय, गुर्दे, प्रोस्टेट, लिंग और अंडकोष को प्रभावित करने वाले यूरोलॉजिकल कैंसर के निदान की अत्याधुनिक तकनीक की सभी मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध हैं। इसके साथ ही संस्थान में मूत्र रोग से संबंधित किडनी, मूत्राशय और प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित रोगियों की नई तकनीकियों के तहत रोबोट की सहायता से भी सर्जरी की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।  एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि संस्थान में विस्तृत परीक्षण एवं जांच के आधार पर यूरोलाॅजिकल से संबंधित कैंसर के निराकरण के लिए अत्याधुनिक व उत्कृष्ट तकनीक आधारित विश्वस्तरीय सभी मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध करा दी गई है।

ऋषिकेश एम्स राज्य का एकमात्र ऐसा स्वास्थ्य संस्थान है, जिसमें किडनी, मूत्राशय और प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित मरीजों के लिए रोबोटिक सर्जरी की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। यूरोलाॅजी विभाग में पुरुष व महिलाओं के मूत्र पथ और पुरुष प्रजनन अंगों की कैंसर से जुड़ी बीमारियों के उपचार के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम कार्य कर रही है।

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यूरोलाॅजी विभागाध्यक्ष एसोसिएट प्रोफेसर डा. अंकुर मित्तल ने बताया कि मूत्र संबंधी विकृतियों में सबसे आम समस्या प्रोस्टेट कार्सिनोमा से जुड़ी है। उन्होंने बताया कि प्रोस्टेट ग्रन्थि पुरुषों में पाई जाती है। इस छोटी सी ग्रंथि का वजन लगभग 20 ग्राम होता है। यूरोलाॅजी विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार प्रोस्टेट ग्रन्थि शुक्राणु परिवहन करने वाले वीर्य का उत्पादन करती है। बढ़ती उम्र के साथ ही अधिकांश पुरुषों की इस ग्रन्थि में रोग पैदा होने लगते हैं। खासतौर से बुजुर्ग अवस्था में मूत्र रोग से उत्पन्न यह समस्या कैंसर का रूप ले लेती है। भारत में एक लाख की जनसंख्या में से 8 से 9 प्रतिशत लोग गुर्दे के कैंसर से जूझ रहे हैं। उन्होंने बताया कि भारत के यह आंकड़े एशिया के अन्य देशों की तुलना में सबसे अधिक हैं।

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डाॅक्टर मित्तल के अनुसार चिकित्सा संसाधनों की कमी और जागरुकता के अभाव में भारत में प्रोस्टेट कैंसर से होने वाली मृत्युदर अन्य देशों की तुलना में सबसे अधिक है। इसके लक्षणों के प्रति लापरवाही बरतने पर यह रोग गंभीर स्थिति में आ जाता है। एम्स के यूरोलाॅजी विभाग में किडनी, मूत्राशय, लिंग और अंडकोष की बीमारियों के उपचार के अलावा शल्य चिकित्सा द्वारा प्रोस्टेट को हटाना (रेडिकल प्रोस्टेटेक्टमी), विकिरण चिकित्सा, कीमोथैरेपी, और इम्यूनोथैरेपी की सुविधाएं उपलब्ध हैं।

उन्होंने बताया कि प्रोस्टेट, मूत्राशय और गुर्दे की सर्जरी में नई तकनीकियों का उपयोग करते हुए अब विंची रोबोट का उपयोग किया जा रहा है। विशेषज्ञ चिकित्सक के अनुसार कोरोना महामारी के इस दौर में भी एम्स का यूरोलाॅजी विभाग सप्ताह के सभी कार्य दिवस में पेशेंट क्लीनिक का संचालन जारी रखे हुए है। आवश्यक जांच के बाद सर्जरी की आवश्यकता वाले रोगियों को भर्ती कर दिया जाता है।