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बारिश में पशुओं में बढ़ा बीमारियों का खतरा, रहें सावधान

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लखनऊः राजधानी में दूध का व्यापार कर रहे किसानों को अब पशुओं की बीमारियों को लेकर चिंता सताने लगी है। पहली मानसूनी बारिश में ही दूध कारोबारियों ने 5 रूपये प्रति लीटर बढ़ाने की गुजारिश की है। किसानों का तर्क है कि पशुओं को चारा तो आसानी से मिल सकता है, लेकिन इनमें बीमारियों का डर बढ़ जाता है। इसलिए प्रति लीटर दूध के दाम बढ़ाने ही होंगे।

मुख्य बात यह है कि जब कभी बारिश होती है, तब पशुओं को खेतों और खाली भूमि पर भी चारा मिल जाता है। इस दौरान पशुओं को खतरा ज्यादा रहता है। दुधारू पशुओं के प्रमुख रोग बारिश के महीने में ही हावी होते हैं। पशुओं में अनेक कारणों से बहुत सी बीमारियाँ होती हैं। सूक्ष्म विषाणु, जीवाणु विकार के रूप में हावी हो जाते हैं। प्रमुख कारणों में बहुत सी जानलेवा बीमारियां और भी हैं। पशुओं में कुछ बीमारियां ऐसी भी होती हैं, जो एक से दूसरे तक आसानी से पहुंच जाती हैं।

पशुओं में फैलने वाली बीमारी मुंह और खुर की बीमारी गला घोंटू और छूतदार

चपेट में आ सकते हैं पशुपालक

कुछ बीमारियां पशुओं से मनुष्यों में भी आ जाती हैं। इनमें रेबीज, क्षय रोग आदि, इन्हें जुनोटिक रोग कहते हैं। अतः पशु पालक को प्रमुख बीमारियों के बारे में जानकारी रखना आवश्यक है। इससे वह उचित समय पर सही कदम उठा कर अपना आर्थिक हानि से बचाव तथा मानव स्वास्थ्य की रक्षा में भी सहयोग कर सकते हैं।

बुखार आते ही करें बचाव

रोग ग्रस्त पशु को जब बुखार हो जाता है, तो वह खाना-पीना व जुगाली करना बन्द कर देता है। दूध का उत्पादन गिर जाता है। मुंह से लार बहने लगती है। मुंह हिलाने पर चप-चप की आवाज आती हैं। बुखार के बाद पशु के मुंह के अंदर, गालों, जीभ, होंठ तालू व मसूड़ों के अंदर, खुरों के बीच तथा कभी-कभी थनों व आयन पर छाले पड़ जाते हैं। ये छाले फटने के बाद घाव का रूप ले लेते हैं।

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डॉक्टरों की सलाह से करें उपचार

पशु चिकित्सक धीरेंद्र साहू कहते हैं कि इस रोग का कोई निश्चित उपचार नहीं है। बीमारी की गंभीरता को कम करने के लिए लक्षणों के आधार पर पशु का उपचार किया जाता है। एंटीबायोटिक के टीके लगाए जा सकते हैं। मुंह व खुरों के घावों को फिटकरी या पोटाश के पानी से धोएं। इससे उनको राहत मिल जाएगी।