रीवा (Rewa): संभागायुक्त अनिल सुचारी ने बुधवार को मत्स्य पालन, पशुपालन, सहकारिता एवं दुग्ध संघ के कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में संभाग में बड़ी संख्या में अमृत तालाबों का निर्माण किया गया है। सभी तालाबों में जहां पर्याप्त पानी उपलब्ध है, वहां स्वयं सहायता समूह बनाकर या सहकारी समितियां बनाकर मछली पालन किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मछली पालन कम लागत और अधिक आय देने वाला व्यवसाय है। लक्ष्य के अनुरूप मत्स्य कृषक सहकारी समितियों का गठन करें। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एक सप्ताह के भीतर सभी अमृत सरोवरों को खसरा में दर्ज करें ताकि उनमें मछली पालन किया जा सके। संभाग में मछली पालन हेतु 18089 हेक्टेयर क्षेत्र उपलब्ध है। इसका शत-प्रतिशत उपयोग करें। प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना, समृद्धि योजना एवं अन्य योजनाओं के माध्यम से मछली पालन को बढ़ावा दें। विभाग के पोंडी मछली बीज भण्डारण केन्द्र से लक्ष्य के अनुरूप मछली बीज विक्रय करायें।
वैज्ञानिक पशुपालन के लिए करें प्रशिक्षित
बैठक में आयुक्त ने कहा कि खेती के साथ-साथ पशुपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार है। पशुपालकों को वैज्ञानिक पशुपालन के लिए प्रशिक्षित करें। गंभीर बीमारियों से बचाव के लिए पशुओं का समय पर टीकाकरण कराएं। सतना जिले में पशु टीकाकरण के संबंध में दी गई जानकारी विश्वसनीय प्रतीत नहीं होती। संयुक्त निदेशक जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। बीमार और घायल पशुओं के इलाज के लिए मोबाइल उपचार इकाइयाँ बहुत उपयोगी हैं। इसके संचालन के लिए आवश्यक राशि की तत्काल मांग करें.
यह भी पढ़ें-Himachal: CM बनने के बाद पहली विदेश यात्रा पर रवाना हुए सुक्खू, उद्योगपतियों से करेंगे मुलाकात
किसान क्रेडिट कार्ड जारी करें
उन्होंने कहा कि मोबाइल यूनिट के उपयोग के संबंध में विकासखण्डवार विश्लेषण प्रस्तुत किया जाये। पशुपालन और मत्स्य पालन करने वाले किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड जारी करने के लिए बड़ी संख्या में आवेदन बैंकों में लंबित हैं। बैंकों में लक्ष्य से कम से कम 20 प्रतिशत अधिक आवेदन जमा करें। बैंक शाखा प्रबंधकों से समन्वय बनाकर पशुपालकों एवं मत्स्य पालकों को किसान क्रेडिट कार्ड जारी करें।
गौशालाओं का करें निर्माण
आयुक्त ने बताया कि मनरेगा योजना के तहत स्वीकृत 478 गौशालाओं में से मात्र 172 का निर्माण कार्य पूरा हो सका है। शेष गौ-आश्रय स्थलों का निर्माण कार्य पूर्ण कराकर उनका समुचित संचालन करायें। गायों को रखने और उनकी सेवा करने की उचित व्यवस्था करें। संभाग में 152 दुग्ध सहकारी समितियां संचालित हैं। रीवा जिले में प्रतिदिन 3746 लीटर, सतना में 2128 लीटर, सीधी में 452 लीटर तथा सिंगरौली में 891 लीटर दूध संग्रहण किया जा रहा है। दुग्ध समितियों को दूध की मात्रा का भुगतान समय पर करें। नए दुग्ध मार्ग बनाकर एवं नई समितियाँ बनाकर दुग्ध संग्रहण बढ़ाएँ। ताकि रीवा में बने 20 हजार लीटर क्षमता के नये प्रशीतन केन्द्र का पूरा उपयोग किया जा सके।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)