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26 जनवरी को ही क्यों मनाते हैं गणतंत्र दिवस, जानें इसके पीछे की कहानी...

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नई दिल्लीः देश-दुनिया के इतिहास में 26 जनवरी तमाम अहम वजह से दर्ज है। लेकिन यह तारीख का स्वाधीन भारत के लिए खास महत्व रखती है, क्योंकि देश में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस (Republic Day 2023) मनाया जाता है। 72 साल पहले आज ही के दिन भारत का संविधान लागू हुआ था। गणतंत्र दिवस मनाने और साल 1950 में इस तिथि को संविधान लागू होने की कहानी दिलचस्प है। ऐसा करने की एक खास वजह यह है कि 26 जनवरी 1930 को ही कांग्रेस ने देश में पूर्ण आजादी या पूर्ण स्वराज का नारा दिया था। इसी स्मृति को संजोने के लिए ऐसा हुआ।

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दरअसल जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पहली बार पूर्ण स्वराज की शपथ दिलाई गई थी। अधिवेशन में तत्कालीन ब्रितानी सरकार से मांग की गई थी भारत को 26 जनवरी 1930 तक संप्रभु दर्जा दे दिया जाए। दिलचस्प यह भी है कि इसके बाद 1930 तक हर साल 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस (Republic Day 2023) मनाया गया। इस महत्व की वजह से ही 1950 में 26 जनवरी को देश का संविधान लागू कर इसे गणतंत्र दिवस घोषित कर दिया गया।

इस ऐतिहासिक तिथि को ही डॉ. राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति बने और पहले गणतंत्र दिवस पर तिरंगा फहराया। भारत 26 जनवरी 1950 को सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर गणतंत्र बना और इसके 6 मिनट बाद 10:24 मिनट पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली । वैसे तो भारत का संविधान बनाने का काम 26 नवम्बर 1949 को पूरा हो गया था। इतना ही नहीं संविधान सभा ने इसे मंजूर भी दे दी थी, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि चूंकि 26 जनवरी 1930 को कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य का नारा दिया था। इसलिए दो महीने का इंतजार करना पड़ा और 26 जनवरी 1950 को देश के आखिरी गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी ने भारतीय गणतंत्र की घोषणा की थी।

आजादी से पहले ही तय हो गया था भारत का संविधान

दरअसल 18 जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद से 'इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट' पास हुआ था। जिससे भारत का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान बना। इस एक्ट के तहत 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान ने और 15 अगस्त 1947 को भारत ने अपनी आजादी का ऐलान किया। लेकिन उससे पहले एक साल पहले ही 9 दिसम्बर 1946 को तय हो गया था कि भारत का अपना संविधान होगा। इसके लिए संविधान सभा बनाई गई और 2 साल 11 महीने और 18 दिन तक बैठक चली। जिसके बाद भारत का संविधान बना।

इसलिए भी अहम है यह तारीफ

इसके अलावा यह तारीख संपूर्ण भारत को गहरी पीड़ा देने वाली त्रासदी के रूप में भी दर्ज है। साल 2001 में 26 जनवरी को भूकंप से गुजरात कांप उठा था। इस प्राकृतिक आपदा में हजारों लोगों की मौत हुई थी। गुजरात का भुज शहर बुरी तरह प्रभावित हुआ था। इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.9 से 7.9 के बीच थी। इसका असर पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और दक्षिण भारत तक पर पड़ा था। जिसमें हजारों लोग इमारतों के मलबे में दब गए थे। अकेले भुज में 400 से ज्यादा बच्चे स्कूल के मलबे में दब गए थे।

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