लखनऊः हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, स्मार्टफोन, टैबलेट और कंप्यूटर जैसी आधुनिक Gadgets की स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी (ब्लू लाइट) के कारण त्वचा पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकते हैं।
त्वचा को नुकसान पहुंचा रहेे Gadgets
विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार इन गैजेट्स का उपयोग करने से त्वचा में नई उम्र के निशान, झुर्रियाँ, हाइपरपिग्मेंटेशन (डार्क स्पॉट्स) और सूजन जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। राजधानी लखनऊ के एस्थेटिक डॉक्टर शिवम शुक्ला का कहना है कि जिस प्रकार सूरज की रोशनी हमारी त्वचा को नुकसान पहुंचाती हैं, उसी तरह लैपटॉप, कम्प्यूटर व मोबाइल की स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट भी हमारी त्वचा को नुकसान पहुंचाती हैं।
इसकी वजह से अब जो सन्स क्रीम आ रहे हैं, वे यूवी ए, यूवी बी और ब्लू लाइट प्रोटेक्शन वाले ही आ रहे हैं। ब्लू लाइट एक उच्च-ऊर्जा वाली दृश्य रोशनी है, जिसकी तरंग दैर्घ्य 400 से 500 नैनोमीटर के बीच होती है। प्राकृतिक सूर्य की रोशनी में भी ब्लू लाइट मौजूद होती है, लेकिन आधुनिक जीवनशैली में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बढ़ते उपयोग के कारण इसकी मात्रा में अत्यधिक वृद्धि देखी जा रही है। डॉ. शुक्ला का मानना है कि गैजेट्स की स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट त्वचा के कोशिकाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
इससे त्वचा में फ्री रेडिकल्स का निर्माण बढ़ जाता है, जो कि त्वचा की उम्र बढ़ने, झुर्रियां पड़ने और हाइपरपिग्मेंटेशन का मुख्य कारण बन सकता है। लगातार ब्लू लाइट के संपर्क में आने से त्वचा की कोशिकातओं में क्षति पहुंच सकती है, जिससे झुर्रियां और फाइन लाइन्स जल्दी बन सकती हैं। त्वचा पर असमान रंगत और डार्क स्पॉट्स का विकास ब्लू लाइट के कारण हो सकता है, क्योंकि यह मेलानिन उत्पादन को प्रभावित कर सकती है।
दीर्घकालिक संपर्क से त्वचा में सूजन, लालिमा और संवेदनशीलता भी बढ़ सकती है, जिससे त्वचा का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ सकता है। गैजेट्स के बढ़ते उपयोग के इस युग में, ब्लू लाइट से होने वाले संभावित त्वचा संबंधी दुष्प्रभावों को नजरंदाज करना मुश्किल हो गया है। विशेषज्ञों की सलाह है कि उचित सावधानियों को अपनाकर और स्किनकेयर रूटीन में बदलाव करके इन प्रभावों से बचा जा सकता है। यदि त्वचा में कोई असामान्य बदलाव दिखाई दे, तो विशेषज्ञों से सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है।
संरक्षण के उपाय
स्क्रीन फिल्टर्स का उपयोगः गैजेट्स में ब्लू लाइट फिल्टर या नाइट मोड का उपयोग करके नीली रोशनी की मात्रा को कम किया जा सकता है।
स्क्रीन की ब्राइटनेस कम करेंः रात के समय और कम प्राकृतिक रोशनी वाले वातावरण में स्क्रीन की ब्राइटनेस को घटाना मददगार हो सकता है।
समय-समय पर ब्रेक लेंः हर 20 मिनट में कम से कम 20 सेकंड के लिए स्क्रीन से दूर देखें, ताकि आँखों और त्वचा को आराम मिल सके।
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डॉ. शिवम शुक्ला ने कहा किसी गैजेट को ज्यादा देर तक इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। कोई भी अच्छी सन्स क्रीम का उपयोग किया जाए तो ब्लू लाइट की वजह से होने वाली त्वचा समस्याओं से बचा जा सकता है। रात के समय अच्छा सा क्लिंजर रखें, जिससे आप फेसवॉश करके सोने के लिए जा सके। जिससे जो सेल्स डैमेज हो गई हों उनको रिपेयर किया जा सके। किसी भी विटामिन सी और विटामिन ई जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर क्रीम और सीरम का उपयोग करने से त्वचा में फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
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